चंडीगढ़ SDM कार्यालय में “ नोटिस का खेल”:
एक होटल से शुरू हुआ मामला, उठा रहा कई सवाल !
निर्माण उल्लंघन नोटिसों में बरस रहा कथित 'गोल्ड', पारदर्शिता पर उठे गंभीर सवाल !
शहर में कितने होटल को वायलेशन के नोटिस, जांच का विषय
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 26 जून 2025। चंडीगढ़ प्रशासन के एसडीएम कार्यालयों में जारी होने वाले निर्माण उल्लंघन (वायलेशन) नोटिस इन दिनों शहर की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में गर्म चर्चाओं का विषय बने हुए हैं। हाल ही में एक प्रीमियम होटल को जारी किए गए वायलेशन नोटिस ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप हैं कि इन नोटिसों की आड़ में एक सुनियोजित आर्थिक खेल खेला जा रहा है, जिसमें कथित रूप से मोटी रकम वसूली जा रही है – लेकिन न तो वायलेशन खत्म हो रहे हैं, न ही जवाबदेही तय हो रही है। शहर में कितने होटल को वायलेशन के नोटिस दिए गए, यह भी एक जांच का विषय है
क्या है 'नोटिस का खेल'?
स्थानीय सूत्रों और नागरिक संगठनों के अनुसार, यह सिलसिला कुछ इस प्रकार चलता है। पहले एक संपत्ति (विशेष रूप से होटल, शोरूम या रिहायशी कोठी) को निर्माण उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया जाता है। नोटिस में चेतावनी दी जाती है कि तय समय में वायलेशन नहीं हटाया तो जुर्माना लगेगा। फिर 'समझौते' या 'ऊपरी स्रोतों' के माध्यम से मामला शांत कर दिया जाता है। वायलेशन मौके पर बना रहता है, लेकिन फाइलों में इसे 'हटाया गया' दर्शा दिया जाता है। कुछ मामलों में नए नोटिस फिर जारी कर दिए जाते हैं – जुर्माना बढ़ता है, प्रक्रिया दोहराई जाती है, लेकिन अंततः कार्रवाई अधूरी रह जाती है।
किसकी जेब में जा रहा है 'नोटिस मनी'?
यह सवाल हर शहरवासी के मन में है। अगर लाखों-करोड़ों रुपये बतौर जुर्माना लिए गए, तो: कितनी वसूली वास्तव में सरकारी खजाने में पहुंची?,
क्या निर्माण वायलेशन हटाए गए?
यदि नहीं, तो बार-बार नोटिस क्यों?
और अगर हटा दिए गए, तो नए नोटिस किस आधार पर?
काग़ज़ों में साफ, ज़मीन पर जस का तस
सूत्रों का दावा है कि कई होटल, कोठियों और कमर्शियल बिल्डिंग्स के वायलेशन बिना फील्ड विजिट के 'हटाए गए' दिखा दिए गए, जबकि मौके पर कोई बदलाव नहीं हुआ। इससे प्रशासनिक ईमानदारी पर गहरा संदेह पैदा होता है।
नागरिक संगठन बोले - जवाब दो प्रशासन!
चंडीगढ़ के कई नागरिक संगठनों और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि:पिछले 2 वर्षों में जारी हुए सभी वायलेशन नोटिसों का डेटा सार्वजनिक किया जाए। कुल जुर्माने की राशि, वसूली की स्थिति, और कार्रवाई की पारदर्शिता का ऑडिट कराया जाए। एक स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए, जो यह तय करे कि क्या वाकई एसडीएम कार्यालयों में “वायलेशन नोटिस” भ्रष्टाचार का जरिया बन चुके हैं?
प्रशासन की चुप्पी – क्या है इसका अर्थ?
इस पूरे मामले पर अब तक एसडीएम कार्यालय या प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन जिस तरह यह मसला सोशल मीडिया, सिविल सोसाइटी और व्यापारिक हलकों में तेज़ी से तूल पकड़ रहा है, उससे यह स्पष्ट है कि अब यह एक साधारण अफवाह नहीं बल्कि एक गंभीर जांच योग्य मामला बन चुका है।
अब नजरें जांच पर टिकीं
सवाल यह नहीं कि कितने नोटिस जारी हुए, बल्कि यह है कि: क्या हर नोटिस एक ईमानदार प्रक्रिया का हिस्सा था?
क्या कोई अधिकारी या कर्मचारी निजी लाभ के लिए इस सिस्टम का दुरुपयोग कर रहा है?
और क्या प्रशासन इस पर जवाबदेह ठहराया जाएगा, या फिर यह मामला भी कागज़ों में दबा दिया जाएगा?
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →