मंत्रिमंडल ने विकास परियोजनाओं, 2025 के लिए नई भूमि खरीद नीति को दी मंजूरी
स्वैच्छिक भूमि खरीद नीति, 2025 के तहत भूमि मालिकों को दिए गए अधिकार
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 26 जून – हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विकास परियोजनाओं के लिए सरकारी विभागों, उसकी संस्थाओं अर्थात बोर्ड एवं निगमों तथा सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि खरीद के लिए नीति, 2025 को मंजूरी दी गई।
नीति का उद्देश्य, भूमि मालिकों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जिससे वे उपयुक्त खरीदारों की अनुपलब्धता के कारण अत्यधिक आवश्यकता के समय अपनी भूमि को कम दामों पर बेचने से बच सकें। इसके अलावा, भूमि मालिक अपनी भूमि की पेशकश करके और उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त करके सरकारी परियोजनाओं के निर्णय लेने में भाग ले सकते हैं।
राज्य सरकार ने विकास परियोजनाओं के लिए सरकार को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद के लिए नीति अधिसूचित की थी, ताकि भूमि मालिकों द्वारा भूमि की डिस्ट्रेस सेल को रोका जा सके और राज्य में विकास परियोजनाओं के स्थान का चयन करते समय उन्हें निर्णय लेने में शामिल किया जा सके। इसके पश्चात यह महसूस किया गया कि इस नीति को और व्यापक बनाने की आवश्यकता है, जिसमें भूमि के एकत्रीकरण के लिए एग्रीगेटर्स को प्रोत्साहन देने तथा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उनके पंजीकरण से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया जाए। इसके लिए एक समेकित नीति तैयार की गई है, जो वर्ष 2017 की नीति और उसमें समय-समय पर किए गए संशोधनों को प्रतिस्थापित करती है।
विकास परियोजनाओं के लिए सरकारी विभाग, उसकी संस्थाओं, यानी बोर्ड और निगमों और सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद नीति, 2025 में विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। इनमें, स्वीकार्य प्रस्ताव (एडमिशिबल ऑफर) की परिभाषा और एग्रीगेटर की परिभाषा में संशोधन किया गया है। भाग ए में प्रावधान किया गया है कि भूमि मालिक अपने हिस्से को आंशिक या पूर्ण रूप से बेच सकता है, जो पहले की नीति में उपलब्ध नहीं था। इसके अलावा, प्रस्तावित भूमि तक 5 करम का पहुंच मार्ग (एप्रोच रोड) सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है।
यह सुनिश्चित किया गया है कि भूमि का स्वामित्व स्पष्ट हो और भूमि कभी भी "शामलात देह" या "मुश्तरका मालिकान" आदि की श्रेणी में न आती हो। नाबालिग, मंदबुद्धि अथवा मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु न्यायालय की विधिवत स्वीकृति आवश्यक की गई है। भूमि की दरों की तर्कसंगतता संबंधित उपायुक्त द्वारा सुनिश्चित की जाएगी।
सुविधा शुल्क एग्रीगेटर को कुल लेनदेन लागत का 1 प्रतिशत तथा दो किस्तों में दिया जाएगा। पहली किश्त 0.5 प्रतिशत रजिस्ट्री पूर्ण होने पर और शेष 0.5 प्रतिशत म्यूटेशन स्वीकृत होने तथा कब्जा सौंपे जाने के बाद दी जाएगी। भूमि एकत्रीकरण की दिशा में प्रयास करने वाले तथा परियोजना की कुल संभावित भूमि का कम से कम 70 प्रतिशत अपलोड करने वाले एग्रीगेटर को प्रोत्साहन भुगतान दिया जाएगा, जो भूमि की दरों के आधार पर 1,000 रुपए प्रति एकड़ से लेकर 3,000 रुपए प्रति एकड़ तक होगा। यदि भूमि कलेक्टर दर पर उपलब्ध करवाई जाती है तो 3 हजार रुपये प्रति एकड़, यदि भूमि कलेक्टर दर से अधिकतम 20 प्रतिशत अधिक दर पर उपलब्ध करवाई जाती है तो 2 हजार रुपये प्रति एकड़, और यदि भूमि इससे भी अधिक दर पर उपलब्ध करवाई जाती है तो 1 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन दिया जाएगा।
भारत सरकार के विभाग एवं उनके निकाय भी अपनी विकास परियोजनाओं के लिए इस नीति के तहत भूमि खरीद की प्रक्रिया अपना सकते हैं।
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