Shimla Agreement, Pahalgam Attack : किसी काम का नहीं बचा शिमला समझौता, 1972 की संधि के बाद कई बार हुई भारत-पाकिस्तान जंग
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 25 अप्रैल 2025 :
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता होल्ड करने के फैसले के बाद पाकिस्तान ने शिमला समझौता मानने से इनकार कर दिया है। यह समझौता दो जुलाई, 1972 को शिमला के बर्नेस कोर्ट भवन में साइन किया गया था, जो अब राजभवन है।
भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने इसे साइन किया था। इससे पहले पाकिस्तान 1971 की जंग हार चुका था। इस एग्रीमेंट के जरिए दोनों देशों ने यह प्रण लिया था कि अब वह अपने रिश्तों में सुधार करते हुए रीजन और अपने लोगों की बेहतरी के लिए काम करेंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
इसके बाद पाकिस्तान के साथ पहले 1984 में सीमित जंग हुई, जिसे ऑपरेशन मेघदूत का नाम दिया गया और इसके जरिए भारत ने सियाचिन ग्लेशियर को वापस ले लिया। फिर 1999 में कारगिल की लड़ाई लड़ी गई, जिसमें हार के बाद पाकिस्तान की सेना को मुंह की खानी पड़ी।
इसलिए शिमला समझौते का कोई प्रैक्टिकल प्रभाव दोनों देशों के रिश्तों में पहले भी नहीं था। इसी समझौते का एक हिस्सा था कि दोनों देश बॉर्डर में बदलाव करने के बजाय लाइन ऑफ कंट्रोल का नियम फॉलो करेंगे। इस एग्रीमेंट के तहत बहुत का जीता हुआ क्षेत्र भारत ने वापस कर दिया था और कुछ स्ट्रैटेजिक लोकेशन ही अपने पास रखी थीं। अब पाकिस्तान ने इस एग्रीमेंट से हाथ पीछे खींच लिए हैं। (SBP)
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