America ने शुरू किया 'Operation Hawkeye'; सीरिया में आतंकियों के 12 ठिकानों को किया तबाह
Babushahi Bureau
वॉशिंगटन/दमिश्क, 20 दिसंबर: अमेरिका (America) ने अपने दो सैनिकों की हत्या का बदला लेते हुए शुक्रवार को सीरिया (Syria) में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (ISIS) के खिलाफ एक बड़ा सैन्य अभियान चलाया। अमेरिकी वायुसेना ने 'ऑपरेशन हॉकआई' (Operation Hawkeye) के तहत सीरिया के अलग-अलग इलाकों में आतंकियों के 12 से ज्यादा ठिकानों पर हवाई हमले (Airstrikes) किए।
अधिकारियों के मुताबिक, यह कार्रवाई हाल ही में 13 दिसंबर को हुए उस हमले के जवाब में की गई है, जिसमें सीरिया में तैनात अमेरिका के दो जवान मारे गए थे। इस ऑपरेशन में आतंकियों के छिपने की जगहों और हथियारों के गोदामों को निशाना बनाया गया है।
क्यों नाम पड़ा 'ऑपरेशन हॉकआई'?
इस मिशन का नाम बेहद भावुक वजह से रखा गया है। दरअसल, मारे गए दोनों अमेरिकी सैनिक आयोवा (Iowa) राज्य के रहने वाले थे, जिसे अमेरिका में 'हॉकआई स्टेट' (Hawkeye State) के नाम से जाना जाता है।
अपने शहीद जवानों को सम्मान देने के लिए ही सेना ने इस जवाबी कार्रवाई को यह विशेष नाम दिया है। मारे गए सैनिकों की पहचान 25 वर्षीय सार्जेंट एडगर ब्रायन टोरेस तोवार और 29 वर्षीय सार्जेंट विलियम नाथानियल हॉवर्ड के रूप में हुई है, जो आयोवा नेशनल गार्ड (Iowa National Guard) में अपनी सेवाएं दे रहे थे।
ट्रम्प और रक्षा मंत्री ने दी चेतावनी
अमेरिकी रक्षा मंत्री (Defense Minister) पीट हेगसेथ ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया कि यह किसी नए युद्ध की शुरुआत नहीं, बल्कि दुश्मनों को करारा जवाब है। वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (President Donald Trump) ने भी कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि उनकी लीडरशिप (Leadership) में अमेरिका अपने नागरिकों की रक्षा से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका पर हमला करने वालों को अब पहले से भी ज्यादा सख्त परिणाम भुगतने होंगे। ट्रम्प ने यह भी बताया कि शहीद सैनिकों के शवों को पूरे राजकीय सम्मान के साथ स्वदेश लाया गया है।
सीरिया में अब भी मौजूद है खतरा
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, सीरिया में अभी भी सैकड़ों अमेरिकी सैनिक तैनात हैं जो लंबे समय से ISIS के खिलाफ लड़ रहे हैं। हालांकि 2014-15 के बाद से ISIS का प्रभाव कम हुआ है, लेकिन उनके बचे हुए लड़ाके अभी भी खतरा बने हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि 13 दिसंबर को हुए हमले की जिम्मेदारी ISIS ने नहीं ली थी और सीरियाई सरकार ने हमलावर को अपनी इंटरनल डिफेंस सर्विस का हिस्सा बताया था, लेकिन अमेरिका का मानना है कि जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया, वे आतंकियों से जुड़े हुए थे।
अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वह 'ऑपरेशन इनहेरेंट रिजॉल्व' (Operation Inherent Resolve) के तहत आतंकी नेटवर्क को खत्म करने की कोशिशें जारी रखेगा।
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