Himachal News: Weather Update: हिमाचल में सूखे जैसे हालात, गेहूं समेत कई फसलें चपेट में; आसमान की ओर देख रहे किसान
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 19 दिसंबर 2025 :
हिमाचल प्रदेश में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। करीब ढाई माह से बारिश नहीं हुई है। गेहूं, सेब, कांगड़ा चाय समेत अन्य फसलें भी सूखे की चपेट में आ गई हैं। लंबे समय से बारिश नहीं होने के कारण गेहूं की फसल की पर्याप्त बिजाई तक नहीं की जा सकी है। ऐसे में इस साल उत्पादन घट सकता है।
कुल्लू जिले में रबी फसलों की करीब 60 फीसदी बिजाई नहीं हो पाई है। जिन फसलों की बिजाई की गई है, उनमें भी पीलापन आना शुरू हो गया है। खासकर लहसुन, मटर, जौ और गेहूं की फसल पीली पड़ने लगी है।
कुल्लू जिले में लगभग 18 हजार हेक्टेयर भूमि में रबी की खेती की जाती है। बागवान नए बगीचे लगाने के लिए गड्ढे नहीं बना पा रहे हैं। तौलिये बनाने का काम भी अटका हुआ है। जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर में बागवानी की जाती है।
ऊना जिले में भी बारिश नहीं होने के कारण गेहूं की फसल पीली पड़ चुकी है। बंगाणा क्षेत्र की जोल, तलमेहड़ा बेल्ट, अंब, हरोली, गगरेट और चिंतपूर्णी इलाके में गेहूं के खेत बिल्कुल सूख चुके हैं। कुओं का जलस्तर बरसात की तुलना में 10 फीट नीचे जा चुका है। जिला चंबा में 10 फीसदी किसान बारिश के इंतजार में गेहूं की बिजाई नहीं कर पाए हैं। बारिश न होने से बागवानों को सेब की नई प्रजातियों के चिलिंग ऑवर पूरे न होने की चिंता सता रही है। बागवान चाह कर भी सेब की नई किस्में, जापानी फल, कीवी आदि का रोपण नहीं कर पा रहे हैं।
जिला कांगड़ा के कई चंगर क्षेत्रों में बारिश न होने से गेहूं की फसल पर संकट मंडरा रहा है। जिले में करीब 10 फीसदी किसानों में सिंचाई सुविधा न होने के कारण गेहूं की बिजाई नहीं की है। जिले में करीब 92 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की फसल लगाई जाती है। मंडी जिला में बारिश न होने से अभी तक 11,000 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बिजाई नहीं हो पाई है। जिला में 82 प्रतिशत क्षेत्र में किसानों ने गेहूं व अन्य फसलों की बिजाई कर दी है। जिला में 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बिजाई की जाती है। 4520 हेक्टेयर भूमि पर नकदी फसलों का उत्पादन होता है। इसमें मूली, गोभी, मटर, प्याज, लहसुन सहित अन्य फसलें शामिल हैं।
करसोग, धर्मपुर, गोपालपुर तथा द्रंग क्षेत्र के कुछ भाग खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं। अगर बगीचों में पर्याप्त नमी नहीं रही तो आने वाले समय में फ्लाॅवरिंग पर इसका सीधा असर पड़ेगा। चिलिंग ऑवर्स पूरे न होने से सेब की पैदावार कम हो सकती है। करसोग, सराज, सदर क्षेत्र के नगवाईं में सेब का अधिकतर उत्पादन होता है। कटौला, सरकाघाट, धर्मपुर, सुंदरनगर व बल्ह क्षेत्र के कुछ इलाकों में आम अमरूद, संतरा, लीची, अनार, गलगल व जापानी फल की खेती होती है।
हमीरपुर जिले में 28 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की जाती है। कहीं-कहीं फसल पीली पड़नी शुरू हो गई है। सुजानपुर, भोरंज, नादौन व बमसन क्षेत्र ज्यादा सूखाग्रस्त हैं। हमीरपुर जिले में 8,107 हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जाती है। कृषि विभाग के उपनिदेशक शशिपाल अत्री ने बताया कि आगामी 15 दिन में बारिश नहीं होती, तो 5 से 10 फीसदी नुकसान हो सकता है। उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजेश्वर परमार का कहना है कि बारिश न होने से फलदार पौधों का वितरण में देरी हो रही है।
कांगड़ा चाय का 10 लाख किलोग्राम तक होता है उत्पादन
कांगड़ा चाय के उत्पादन पर भी सूखे जैसे हालात का असर पड़ सकता है। अगर जनवरी तक बारिश न हुई तो चाय के उत्पादन में कमी दर्ज की जा सकती है। सूखी जमीन से चाय के पौधों को पोषक तत्व न मिलने पर मार्च में नई पत्तियां नहीं आएंगी। इसका असर उत्पादन के साथ कांगड़ा चाय के कारोबार पर भी पड़ेगा। इस समय चाय की पत्तियों की तुड़ाई नहीं होती है। केवल पौधों की कटाई-छंटाई का कार्य चलता है। नए उत्पादन के लिए इस समय बारिश काफी जरूरी है। सूबे के धर्मशाला, पालमपुर, बैजनाथ, बीड़ और चौंतड़ा आदि क्षेत्रों में चाय का काफी मात्रा में उत्पादन होता है, जो हर साल औसतन 10 लाख किलोग्राम तक रहता है।
लहसुन की बीस फीसदी फसल तबाह
सिरमौर जिले में सूखे के कारण लहसुन की करीब 20 फीसदी फसल प्रभावित हो चुकी है। सैनधार, धारटीधार, गिरिपार, राजगढ़ और पच्छाद क्षेत्र में लहसुन की अधिक खेती होती है। विभाग ने जिले में 4050 हेक्टेयर भूमि पर 60 हजार मीट्रिक टन लहसुन का उगाने का लक्ष्य रखा गया है। किसान राजेंद्र ने बताया कि उन्होंने 110 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से लहसुन का बीज खरीदा है। बारिश न होने के कारण लहसुन ग्रोथ नहीं पकड़ पा रहा है। (SBP)
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