समाज सेवी आरके गर्ग ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल, जनता पर बढ़ते वित्तीय बोझ को लेकर जताई चिंता
एक तरफ कंगाली का राग दूसरी तरफ फिजूल खर्ची!
रमेश गोयत
चंडीगढ, 27 अप्रैल। समाजसेवी और एक्टिविस्ट आरके गर्ग ने चंडीगढ़ नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए, शहरवासियों के लिए बढ़ते वित्तीय बोझ को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, और इस स्थिति का हर्जाना सीधे तौर पर आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। जहां एक तरफ नगर निगम रोजाना अपनी वित्तीय स्थिति को लेकर राग गया रहा है वही निगम के अधिकारी फजूल खर्ची करने से भी पीछे नहीं हट रहे। जो की जांच का विषय है!
गर्ग ने कहा कि नगर निगम की वित्तीय स्थिति को लेकर मीडिया में बार-बार बयान दिए गए हैं कि निगम कंगाली के दौर से गुजर रहा है, लेकिन सवाल यह है कि इस कंगाली के दौर के बावजूद निगम बार-बार नए-नए तरीके से जनता पर टैक्स का बोझ क्यों डाल रहा है। उन्होंने कहा, "अगर निगम के पास पैसा नहीं है तो प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए, क्योंकि ये वही प्रशासन है जो निगम को आवंटित राशि देने में पीछे हट रहा है। यह स्थिति कब तक चलेगी, और कब तक जनता को बिना किसी सुविधाओं के अतिरिक्त करों का बोझ उठाना पड़ेगा?"
निगम के बजट पर सवाल
गर्ग ने यह भी कहा कि नगर निगम ने बजट पास कर लिया है, लेकिन इसके बाद भी हर महीने नए टैक्स लगाने की कोशिश की जा रही है। "निगम का यह रवैया समझ से परे है। अगर यह पैसे सैलरी देने के लिए चाहिए तो फिर यह स्पष्ट क्यों नहीं किया जा रहा? और जब ऑडिट में करोड़ों रुपए मिल रहे हैं तो प्रशासन उन्हें निगम को क्यों नहीं दे रहा?" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को अपनी बिल्डिंगों का प्रॉपर्टी टैक्स निगम को तुरंत पे करना चाहिए ताकि निगम को वित्तीय मदद मिल सके और वह अपनी कार्यप्रणाली को सही तरीके से चला सके।
फिजूलखर्ची पर भी सवाल
गर्ग ने निगम की फिजूलखर्ची पर भी सवाल उठाए। एक ताजा मामले में, निगम द्वारा लगाए जाने वाले पेड़ों की संख्या और उनकी लागत को लेकर उन्होंने कहा कि अगर पेड़ फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से मुफ्त में उपलब्ध हैं, तो निगम को इतनी बड़ी रकम खर्च करने की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या अमलतास, गुलमोहर, चक्रस्य जैसे पौधों का एक पौधा 600 रुपए का आता है, जो निगम ने टेंडर में लगाया है।
समाज के लिए चिंता का विषय
गर्ग ने इस पूरे मामले को राजनीति से ऊपर उठकर समाज के लिए चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा, "जब तक निगम अपनी फिजूलखर्ची और वित्तीय कुप्रबंधन को सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक आम जनता को इन बढ़ते टैक्सों और फिजूलखर्चियों के कारण अधिक परेशानी उठानी पड़ेगी। यह स्थिति सिर्फ राजनीति का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है।"
आरके गर्ग ने निगम से अनुरोध किया कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और जनता के हित में कार्य करने के लिए पारदर्शिता और ईमानदारी से काम करें।
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