हरियाणवियों के अधिकारों पर भारी पड़ रहा है बीजेपी का बाहरी प्रेम- हुड्डा
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 4 जुलाई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि बीजेपी का बाहरी प्रेम हरियाणवियों के अधिकारों व रोजगार पर भारी पड़ रहा है। प्रदेश की तमाम बड़ी नौकरियों में बीजेपी सरकार हरियाणा वालों की बजाय अन्य राज्य के लोगों को भर्ती कर रही है। नौकरी ही नहीं, बल्कि तमाम ठेके भी बाहर के लोगों और कंपनियों को दिए जा रहे हैं। अब तो इस सरकार ने अन्य राज्यों से लोगों को डेपुटेशन पर लाना भी शुरू कर दिया है। तहसीलदार पद के लिए हुआ ताजा डेपुटेशन इसका उदाहरण है। बीजेपी को बताना चाहिए कि क्या हरियाणा के युवा तहसीलदार, लेक्चर या एसडीओ बनने की योग्यता नहीं रखते? क्या हरियाणा के भीतर सरकारी कामों को करने लायक ठेकेदार नहीं है? ठेकेदार भी बाहर से लाये गए है। आखिर क्यों बार-बार ऐसे पदों व कामो के लिए अन्य राज्य के लोगों को तरजीह दी जाती है?
हुड्डा ने कहा कि हरियाणा ही नहीं, प्रत्येक राज्य की नौकरी पर पहला अधिकार उसके स्थानीय लोगों का होता है। तमाम राज्य अपनी नौकरियां, अपने युवाओं को देने के लिए अलग-अलग नियम बनाते हैं। लेकिन हरियाणा देश का इकलौता राज्य है, जहां सरकार प्रदेश की नौकरियों को अन्य राज्यों के लोगों को बांटने की नीतियां बनाती है। यही वजह है कि हरियाणा बेरोजगारी के मामले में देश का नंबर वन राज्य है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि तहसीलदार का डेपुटेशन इकलौता ऐसा मामला नहीं है। अभी कुछ दिन पहले ही सिंचाई विभाग में हुई अस्सिटेंट इंजीनियर्स की भर्ती में भी यही खेल हुआ। इस भर्ती में सामान्य वर्ग के 42 पदों पर अन्य राज्यों के 28 लोगों को नियुक्ति दे दी गई। इससे पहले बिजली विभाग की एसडीओ भर्ती से लेकर लेक्चरर्स तक कई भर्तियों में स्थानीय युवाओं के साथ यही धोखा हो चुका है। डीसी कार्यालयों में सुशासन सहयोगी लगाने से लेकर एचपीएससी के चेयरमैन तक की नियुक्ति अन्य राज्यों से बुलाकर की गई।
एक तरफ जहां तमाम राज्य और खासकर भाजपा शासित राज्य अपनी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकताएं देने के लिए सख्त नियम बना रहे हैं। उनके द्वारा भर्ती पेपरों में स्थानीय भाषा की अनिवार्यता से लेकर राज्य के सामान्य ज्ञान के प्रश्नों को बढ़ाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा सरकार के भर्ती पेपरों से प्रदेश के सामान्य ज्ञान संबंधी प्रश्नों को लगभग खत्म कर दिया गया है।
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी ने अपनी हरियाणवी विरोधी मंशा उसी वक्त पूरी तरह स्पष्ट कर दी थी, जब उसने डोमिसाइल के नियमों में भी ढिलाई देते हुए 15 साल की शर्त को घटकर 5 साल कर दिया था। यानि अब कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से हरियाणा का डोमिसाइल हासिल कर सकता है। साथ ही वो ना सिर्फ सामान्य वर्ग बल्कि हरियाणा में आरक्षित श्रेणी की नौकरियां भी हासिल कर सकता है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी 2 लाख पक्की नौकरियां देने का वादा करके तीसरी बार सत्ता में आई है। लेकिन अभी तक 2 लाख भर्तियों की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। यहां तक कि सरकार सीईटी तक नहीं करवा पा रही। इस बीच पहले से लटकी पड़ी इक्का-दुक्का भर्ती का रिजल्ट जारी होता है तो उसमें हरियाणवियों से ज्यादा अन्य राज्य के लोग होते हैं। यह प्रदेश के युवाओं के भविष्य से सीधा खिलवाड़ है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि बीजेपी-जेजेपी सरकार ने प्राइवेट नौकरियों में 75% हरियाणा वालों को नौकरी देने का वादा किया था, वो तो पूरा नहीं हुआ। इसके विपरीत ये सरकार नौकरियों में 75% बाहरी लोगों को भर्ती करने की नीति पर आगे बढ़ रही है।
कुछ समय पहले सिविल जज की भर्ती हुई थी, जिसमें 110 में से 60 पदों पर बाहरी उम्मीदवारों को भर्ती किया गया। तकनीकी शिक्षा विभाग में प्राध्यापकों के सामान्य वर्ग के 153 में से 106 पदों पर बाहरी लोगों का चयन हुआ। प्रदेश में 10 साल से लटकी पड़ी आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर भर्ती में सामान्य वर्ग के 427 में से 394 पदों की लिस्ट जारी हुई। लेकिन उसमें 75% उम्मीदवार बाहर के चयनित किए गए। जबकि हरियाणा गोल्ड मेडलिस्ट और यूनिवर्सिटी टॉपर्स का इसमें चयन नहीं हुआ। इससे पहले फरवरी 2021 में हुई SDO इलेक्ट्रिकल की भर्ती में 90 पदों के लिए 99 लोगों को सिलेक्ट किया गया था। इनमें 77 बाहर के थे और सिर्फ 22 हरियाणा के थे। ये वहीं भर्ती थी जिसे 2019 चुनावों से पहले कैंसिल किया गया था। क्योंकि पहले इस भर्ती में 80 में से 78 बाहर के अभ्यार्थियों को सिलेक्ट किया गया।
लेक्चरर ग्रुप-B (टेक्निकल एजुकेशन) की भर्ती में सामान्य श्रेणी के 157 में से 103 अभ्यार्थी हरियाणा से बाहर के सेलेक्ट हुए थे। यानि हरियाणा की अफसर लेवल पोस्ट पर 65% से ज़्यादा हरियाणा से बाहर के अभ्यर्थियों का सिलेक्शन होना दुर्भाग्यपूर्ण है। साल 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर पॉलिटिकल साईंस की भर्ती में 18 में से 11 उम्मीदवार बाहरी थे और सिर्फ 7 हरियाणवी थे।
इतना ही नहीं, हरियाणा अकेला ऐसा प्रांत है, जहाँ स्टाफ नर्स व वेटेरिनरी की पोस्ट के लिए हरियाणा नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल व हरियाणा वेटेरिनरी रजिस्ट्रेशन काउंसिल का पंजीकरण अनिवार्य नहीं, जबकि दूसरे प्रदेशों में प्रांतीय काउंसिल का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। इसका नतीजा यह है कि बाहर के युवा हरियाणा में नर्सिंग व वेटेरिनरी में भर्ती हो रहे हैं और हरियाणा के युवाओं को न हरियाणा में जगह मिलती और न बाहर।
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