पूर्व विधायकों पर मेहरबान हुई नायब सैनी सरकार, अब सबको मिलेगा ₹10,000 मासिक विशेष यात्रा भत्ता
हरियाणा सरकार ने पूर्व विधायकों के लिए स्पेशल ट्रैवलिंग अलाउंस की सीमा हटाई
अब पेंशन चाहे जितनी भी हो, सभी को मिलेगा ₹10,000 यात्रा भत्ता
अभी तक सिर्फ ₹1 लाख से कम पेंशन वालों को ही मिलता था लाभ
गुजरात देश का इकलौता राज्य जहां पूर्व विधायकों को पेंशन नहीं मिलती
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 5 जुलाई: हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने पूर्व विधायकों के लिए एक बड़ा तोहफा देते हुए उनकी पेंशन में यात्रा भत्ते के रूप में ₹10,000 की मासिक बढ़ोतरी का रास्ता साफ कर दिया है। बीते 26 जून को हुई कैबिनेट मीटिंग में यह अहम फैसला लिया गया, जिसके अनुसार अब प्रदेश का हर पूर्व विधायक, चाहे वह कितनी भी पेंशन ले रहा हो, उसे प्रतिमाह ₹10,000 का स्पेशल ट्रैवलिंग अलाउंस मिलेगा।
इससे पहले यह लाभ सिर्फ उन्हीं पूर्व विधायकों को मिलता था जिनकी कुल पेंशन (मूल पेंशन + डीआर + एसटीए) ₹1 लाख से कम थी। लेकिन अब यह सीमा हटा दी गई है।
पेंशन नियमों में बड़ा बदलाव
एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि इसके लिए हरियाणा विधानसभा (सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन) अधिनियम, 1975 की धारा 7(सी) में संशोधन किया गया है। आगामी हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में इसे विधेयक के रूप में पारित कराया जाएगा, हालांकि सरकार चाहे तो इसे पहले अध्यादेश के जरिए लागू कर सकती है।
पुराने और नए विधायकों में अंतर
हेमंत ने बताया कि 1 जनवरी 2016 से पहले कार्यकाल पूरा करने वाले विधायकों को पुरानी दरों पर पेंशन मिल रही है, जबकि इसके बाद के विधायकों को प्रति कार्यकाल ₹50,000 मूल पेंशन और हर अतिरिक्त कार्यकाल के लिए ₹2,000 की वृद्धि का प्रावधान है। साथ ही, सभी को उस पर 55% डियरनेस रिलीफ भी दिया जाता है। इस प्रकार, एक कार्यकाल के पूर्व विधायक को ₹77,500 तक पेंशन मिल रही है।
असीम गोयल का उदाहरण
पूर्व भाजपा विधायक असीम गोयल, जिन्होंने 2014 से 2024 तक दो कार्यकाल पूरे किए, उन्हें ₹60,000 पेंशन और ₹33,000 डीआर मिलकर कुल ₹93,000 बनते हैं। पहले उन्हें ₹7,000 यात्रा भत्ता मिलता था ताकि कुल ₹1 लाख की सीमा पार न हो। अब संशोधन के बाद उन्हें पूरा ₹10,000 यात्रा भत्ता मिलेगा और उनकी कुल पेंशन ₹1.03 लाख हो जाएगी।
गुजरात में नहीं मिलती पेंशन
हेमंत कुमार ने बताया कि देशभर में भाजपा शासित राज्य 'गुजरात मॉडल' की बात करते हैं, लेकिन गुजरात ही एकमात्र राज्य है जहां पूर्व विधायकों को पेंशन नहीं दी जाती। 1984 में कांग्रेस सरकार ने इसके लिए कानून बनाया था लेकिन लागू नहीं हुआ, और 2001 में भाजपा सरकार ने उसे रद्द करवा दिया।
इस फैसले से हरियाणा के सैकड़ों पूर्व विधायकों को सीधा लाभ मिलेगा, खासकर वे जो अब तक पेंशन में ₹1 लाख से ऊपर के कारण इस भत्ते से वंचित थे। हालांकि, यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस और ओपीएस जैसे मुद्दों पर लंबी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। ऐसे में पूर्व जनप्रतिनिधियों के लिए सरकार की ‘दरियादिली’ पर सवाल भी उठ रहे हैं।
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