चंडीगढ़ के पूर्व DGP सुरेंद्र सिंह यादव को सुप्रीम कोर्ट से झटका, नक्सल प्रभावित इलाके में DIG के पद पर तबादला बरकरार
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 4 मई 2025 — चंडीगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) सुरेंद्र सिंह यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। गृह मंत्रालय द्वारा किए गए उनके तबादले के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अब उन्हें छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के नक्सल विरोधी अभियानों के मुख्यालय में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) के पद पर कार्यभार संभालना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सरकार के पास स्थानांतरण और तैनाती संबंधी निर्णय लेने का पूरा अधिकार है, और यह प्रशासनिक विवेक का मामला है, जब तक कि यह निर्णय किसी दुर्भावना या कानून के उल्लंघन पर आधारित न हो। कोर्ट ने कहा कि यादव का तबादला वैधानिक प्रक्रिया के तहत किया गया है, और इसमें हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं बनता।
पिछले कार्यकाल में विवादों में रहे यादव
चंडीगढ़ में अपने कार्यकाल के दौरान सुरेंद्र सिंह यादव कई विवादों में घिरे रहे। पुलिस विभाग के भीतर असंतोष की लहर उस समय तेज हो गई थी जब सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ एक खुला पत्र वायरल किया। इस पत्र में आरोप लगाए गए थे कि यादव द्वारा लिए गए कुछ प्रशासनिक निर्णय पुलिसकर्मियों के मनोबल को प्रभावित कर रहे हैं। पत्र में तबादलों में पक्षपात, छुट्टियों की मंजूरी में मनमानी, और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ टकराव जैसी बातें भी सामने आईं थीं।
इस विरोध के बाद गृह मंत्रालय ने उन्हें हटाकर छत्तीसगढ़ में बीएसएफ के नक्सल विरोधी अभियान का प्रभार सौंपने का आदेश जारी किया था। यादव ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि यह स्थानांतरण "दंडात्मक" है और उनके कैरियर के हितों के खिलाफ है।
सरकार का पक्ष
गृह मंत्रालय की ओर से कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों में कहा गया कि सुरेंद्र सिंह यादव का तबादला पूर्णत: सेवा नियमों के तहत किया गया है और यह एक नियमित प्रशासनिक निर्णय है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुभवी अधिकारियों की जरूरत को देखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है।
आगे की राह
अब जब सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है, सुरेंद्र सिंह यादव को जल्द ही छत्तीसगढ़ में अपनी नई जिम्मेदारियां संभालनी होंगी। सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि बीएसएफ के लिए यह एक संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण मोर्चा है, जहां नेतृत्व की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी।
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