समाजसेवी आर के गर्ग ने हाथ उठाकर मेयर चुनाव को लोकतंत्र के खिलाफ बताया, कहा - यह कोई हल नहीं
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 4 मई 2025:
चंडीगढ़ में प्रस्तावित हाथ उठाकर मेयर चुनाव कराने के निर्णय को लेकर समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट आर के गर्ग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका मानना है कि यह निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करता है और इससे चुनावों में पारदर्शिता की कमी हो सकती है। गर्ग का कहना है कि इस प्रकार का चुनाव लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और यह वोटर के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
गर्ग ने कहा, "पिछली बार जब मेयर चुनाव हुए थे, तब से यह मुद्दा उठता रहा है कि मेयर का चुनाव हाथ उठाकर किया जाए। अब, यह खबर आई है कि चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे लागू करने का विचार किया है, और इसके लिए एक अधिसूचना भी जल्द ही जारी की जाएगी। इस निर्णय के बाद, बहुत से दलों और लोगों ने इस पर अपनी राय दी है। कुछ लोग इसे समर्थन दे रहे हैं, जबकि कुछ इसे लोकतंत्र के खिलाफ मान रहे हैं।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि मेयर चुनाव हाथ उठाकर किए जाते हैं, तो इससे पार्टी बदलने वाले पार्षदों की पहचान हो सकती है, लेकिन यह समाधान नहीं है। गर्ग ने कहा कि यह प्रक्रिया राजनीतिक व्यवस्था को और भी जटिल बना सकती है, खासकर तब जब चंडीगढ़ नगर निगम (एमसी) में व्हिप या एंटी डिफेक्शन कानून लागू नहीं है।
पार्षदों की पार्टी बदलने का मुद्दा
गर्ग ने यह भी कहा कि चंडीगढ़ नगर निगम में कई बार देखा गया है कि पार्षद अपनी पार्टी बदलकर दूसरे पार्टी के पक्ष में मतदान कर देते हैं, और फिर कुछ समय बाद अपनी मूल पार्टी में वापस लौट आते हैं। "पिछली बार देखा गया कि कई पार्षद घंटों के भीतर अपनी पार्टी बदलकर दूसरी पार्टी का समर्थन करने गए, और फिर वापस अपनी पार्टी में लौट आए। ऐसे में, खुले हाथ से मेयर के चुनाव का क्या मतलब है?" उन्होंने सवाल किया।
उन्होंने इस मुद्दे को और विस्तार से समझाते हुए कहा, "अगर हम हाथ उठाकर चुनाव करते हैं तो इसका कोई खास फायदा नहीं होने वाला, क्योंकि इस स्थिति में न तो किसी पार्टी को अपनी सदस्यता पर नियंत्रण होता है और न ही इसके लिए कोई कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यहां पर एंटी डिफेक्शन कानून लागू नहीं है, जो यह सुनिश्चित कर सके कि कोई पार्षद अपनी पार्टी बदलकर अपने फैसले में बार-बार बदलाव नहीं करता।"
लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है हाथ उठाकर चुनाव
गर्ग ने इस व्यवस्था को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरे के रूप में देखा। उनका कहना था कि अगर मेयर चुनाव में खुले तौर पर हाथ उठाकर वोटिंग होती है, तो यह लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करेगा। उनका कहना था कि "जब हम सीक्रेट वोटिंग की बात करते हैं, तो यह वोटर के अधिकारों का सम्मान करना है। वोटर को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपने मत का चयन पूरी स्वतंत्रता और गोपनीयता से करे। खुले तौर पर हाथ उठाकर मतदान करने से यह प्रक्रिया भ्रष्ट हो सकती है और पारदर्शिता का नुकसान हो सकता है।"
एंटी डिफेक्शन कानून की जरूरत
गर्ग ने यह भी कहा कि इस स्थिति का कोई हल तब तक नहीं निकाला जा सकता, जब तक चंडीगढ़ नगर निगम में एंटी डिफेक्शन कानून लागू नहीं होता। उनका कहना था कि अगर इस कानून को लागू किया जाए, तो पार्षदों पर दबाव डाला जा सकता है और उनकी पार्टी बदलने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जा सकती है। "जब तक यह कानून लागू नहीं होगा, पार्षदों को अपनी पार्टी बदलने के बाद किसी भी प्रकार के दंड का सामना नहीं करना पड़ेगा, और इससे चुनावों की निष्पक्षता पर प्रभाव पड़ सकता है।"
कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता
गर्ग ने इस संदर्भ में कहा, "इस मुद्दे का हल तभी निकल सकता है जब पार्षदों पर कानूनी नियंत्रण होगा। जब तक एंटी डिफेक्शन कानून लागू नहीं होता, तब तक खुले हाथ से चुनाव कराने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह सिर्फ एक दिखावा होगा, और इससे कोई स्थायी समाधान नहीं मिलेगा।" उनका कहना था कि "लोकतंत्र का उद्देश्य न्याय और निष्पक्षता होता है, और यह तभी संभव है जब चुनाव पूरी तरह से गोपनीय और पारदर्शी हों।"
कानूनी दृष्टिकोण से चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल
गर्ग ने यह भी सवाल उठाया कि चुनाव की इस प्रक्रिया को कानूनी दृष्टिकोण से कैसे सही ठहराया जा सकता है, जबकि यह विधायिका और सरकार द्वारा निर्धारित मानकों और सिद्धांतों के खिलाफ है। "यह ठीक नहीं है कि एक महत्वपूर्ण चुनाव में, जो पूरी नगर निगम की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है, उसे इस तरीके से कराया जाए। इससे पारदर्शिता और विश्वास में कमी आएगी।"
गर्ग ने कहा, "हाथ उठाकर मेयर के चुनाव की प्रक्रिया से कोई फर्क नहीं पड़ेगा जब तक इस तरह के मुद्दों पर सख्त कानूनी कदम नहीं उठाए जाते। चंडीगढ़ नगर निगम में एंटी डिफेक्शन कानून का तुरंत लागू किया जाना चाहिए ताकि पार्षदों पर पार्टी बदलने का दबाव न हो और चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी हो।"
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