कोहराम: 81 मौतें, 400 से ज़्यादा लोग ज़ख्मी, पढ़ें पूरी ख़बर
महक अरोड़ा
रविवार को गाजा पट्टी एक बार फिर इजरायली हमलों की चपेट में आ गई। भीड़भाड़ वाले रिहायशी इलाकों, स्कूलों और शरणार्थी टेंटों पर हुई बमबारी में कम से कम 81 लोगों की मौत हो गई, जबकि 400 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस दर्दनाक आंकड़े की पुष्टि की है।
यह हमला उस वक्त हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल को संयम बरतने की सार्वजनिक सलाह दी थी। लेकिन, ट्रंप की चेतावनी के बावजूद हमला रुका नहीं — और नतीजा सामने है: धूल, आग, मलबा और इंसानी लाशों के ढेर।
निशाने पर स्कूल, टेंट और अपार्टमेंट
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने गाजा के भीड़भाड़ वाले इलाकों, अपार्टमेंट, एक स्कूल, एक स्टेडियम और यहां तक कि शरणार्थियों के टेंट को भी निशाना बनाया। चश्मदीदों के मुताबिक, "हमले के तुरंत बाद आसमान में धुएं का गुबार था और जमीन पर सिर्फ चीखें थीं।"
हमले के बाद पूरे इलाके में अराजकता और मानवीय त्रासदी का दृश्य था — लोग मलबे के नीचे दबे अपनों को खोज रहे थे। कई जगहों पर राहत टीमें पहुंच ही नहीं सकीं।
चश्मदीद की आंखों से देखें तबाही
गाजा निवासी यूसुफ अबू नासेर के अनुसार, "जब मैं वापस लौटा तो मेरा टेंट मलबे में दबा था। पिता नीचे दबे थे, बहन बेहोश पड़ी थी। खुद उन्हें निकाला... लेकिन उनकी टांगें टूट चुकी थीं। चारों ओर सिर्फ लाशें थीं।" इस तरह के दृश्य पूरे इलाके में आम थे।
बढ़ रही है मानवीय संकट की आशंका
लगातार हमलों के चलते गाजा की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। अस्पतालों में जगह नहीं है, दवाइयों की भारी कमी है। बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं ठप हैं। शरणार्थी शिविरों में हालात बद से बदतर हो चुके हैं।
बच्चों में कुपोषण और मानसिक तनाव बढ़ रहा है। राहत संगठनों का कहना है कि अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो गाजा एक मानवीय आपदा का भयंकर चेहरा बन सकता है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव बेअसर, तनाव और गहराया
ट्रंप की चेतावनी के बावजूद इजरायल ने हवाई हमले तेज कर दिए हैं। यह दिखाता है कि राजनीतिक दबाव या मानवाधिकारों की अपील, इजरायल की रणनीति पर असर नहीं डाल रही है। दूसरी तरफ, फिलिस्तीन में लोग सवाल पूछ रहे हैं — “कब तक हम बमों के साए में जिएंगे?”
MA