कनाडा में राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन ने कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की
महक अरोड़ा
कनाडा में तेजी से उभर रहे कट्टरपंथ और विदेशी दखल को लेकर रविवार को वुड़ब्रिज, ओंटारियो के Paramount EventSpace में एक दिवसीय राष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया। इसका विषय था – "United Against Extremism" यानी “कट्टरपंथ के खिलाफ एकजुटता”।
यह सम्मेलन Canada India Foundation (CIF) और TAFSIK (The Alliance to Fight Secessionism and International Khalistani Terrorism) के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। इस आयोजन में देशभर से पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक नेता और सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ जुटे और उन खतरों पर चर्चा की जो कनाडा के बहुसांस्कृतिक तानेबाने को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
1985 की एयर इंडिया बम धमाके की बरसी पर भावुक हुआ माहौल
सम्मेलन की सबसे भावुक घड़ी तब आई, जब एयर इंडिया फ्लाइट 182 के बम धमाके की याद ताज़ा की गई। 329 लोगों की जान लेने वाली इस त्रासदी की इस साल 40वीं बरसी है। इस हमले में अपने पूरे परिवार को खो चुके विमानन विशेषज्ञ संजय लाज़र ने कहा— “यह सिर्फ एक फ्लाइट पर हमला नहीं था, यह कनाडा के मूल्यों पर सीधा प्रहार था। आज तक पीड़ितों को न्याय और स्थायी स्मारक नहीं मिला।” उन्होंने इस घटना को कनाडा की शिक्षा व्यवस्था में शामिल करने और स्मृति केंद्र (Memorial Learning Centre) बनाने की मांग रखी।
कट्टरपंथ से जुड़ी चुनौतियों पर खुलकर बोले वक्ता
सम्मेलन में वक्ताओं ने खुलकर कहा कि कनाडा में कई तरह के आतंकी और उग्रपंथी नेटवर्क पनप रहे हैं – चाहे वो खालिस्तानी अलगाववादी हों, विदेशी खुफिया एजेंसियों से जुड़े समूह, या कट्टर इस्लामिक संगठन। इसके साथ ही बाएँपंथी चरमपंथ और आव्रजन प्रणाली के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई गई।
पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने कहा— “यह चौंकाने वाला है कि कनाडा में कुछ कट्टरपंथी संगठन खुलकर काम कर रहे हैं, और हमारी नीति अभी भी मौन है।” पत्रकार वायट क्लेपूल ने कनाडा की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए कहा— “हम भारत और इज़राइल जैसे सहयोगियों के साथ विश्वासघात करते हैं और उन तत्वों के प्रति नरमी बरतते हैं जो हमारे समाज को तोड़ रहे हैं।”
यहूदी स्कूल पर हमला, खुफिया तंत्र पर उठे सवाल
एक वक्ता ने हाल ही में एक यहूदी स्कूल पर हुई गोलीबारी का जिक्र करते हुए कहा कि— “बच्चों पर गोलियां चलाई गईं और हमलावर अब तक पकड़े नहीं गए। यह खुफिया एजेंसियों की नाकामी है या फिर लापरवाही?”
उज्जल दोसांझ बोले – यह आज की सबसे बड़ी चुनौती है
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ इंडो-कनाडाई नेता उज्जल दोसांझ ने कहा, “यह सम्मेलन शायद पहली बार है जब इंडो-कनाडाई समुदाय के अंदर पनपते चरमपंथ पर खुलकर चर्चा हुई है।
चरमपंथ, ड्रग तस्करी और इमीग्रेशन फ्रॉड आज मिलकर बड़ा खतरा बन चुके हैं।”
मीडिया और कानून पर भी उठे सवाल
सम्मेलन में कहा गया कि मुख्यधारा मीडिया और कुछ सार्वजनिक संस्थाएं चरमपंथी गतिविधियों पर चुप्पी साधे रहती हैं। Bill 63 जैसे कानूनों पर भी सवाल उठे, जिनके तहत मध्यमार्गी विचारधारा को दबाया जाता है, लेकिन कट्टरपंथ को 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर संरक्षण मिलता है।
सम्मेलन का निष्कर्ष: अब और चुप्पी नहीं
कार्यक्रम के अंत में CIF के संस्थापक रितेश मलिक ने कहा— “यह सम्मेलन किसी एक समुदाय के खिलाफ नहीं है। यह उस कनाडा के लिए है जिसे हमने शांति, सुरक्षा और सम्मान के लिए चुना था। अब चुप रहना विकल्प नहीं है।"
सम्मेलन के निष्कर्षों पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे कनाडा की सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को सौंपा जाएगा, ताकि ठोस नीति और कार्रवाई की दिशा में काम हो सके।
MA