हिंदी साहित्य में सराहनीय योगदान के लिए डॉ विनोद कुमार शर्मा का नाम वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड में शामिल,
डॉ विनोद कुमार शर्मा ने साहित्यिक गुरु प्रेम विज को दिया श्रेय
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 01 जुलाई। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. विनोद कुमार को अविश्वसनीय उपलब्धि की बधाई देते हुए वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड ने हिंदी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देते हुए प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए रोमांचित अनुभव किया है। वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड ने कहा कि यह सिर्फ़ एक प्रमाण पत्र नहीं है, यह डॉ. विनोद कुमार के करियर को अतिरिक्त बढ़ावा देता है। यह उनके ज्ञान और कड़ी मेहनत को मज़बूत करता है। यह प्रमाणपत्र अंतरराष्ट्रीय महत्व रखता है जो डॉ. विनोद कुमार के असाधारण कौशल को दर्शाता है। यह प्रमाण पत्र भीड़ में अलग दिखने के लिए गर्व से प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर विनोद कुमार की सफलता मायने रखती है और वह उनकी यात्रा का हिस्सा बनकर उत्साहित हैं।
डॉ विनोद कुमार की शैक्षणिक योग्यता डी.लिट., पीएच.डी. एम. फिल; एम.ए. (अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, मास कम्युनिकेशन, हिंदी); एम.एड; बी. एड.; पीजीडीएमसी.; पीडीपीईटी हैं। बढ़ते कदम, शिखर की ओर, नई दिशाएं, मन निर्झर, झील के वारिज, अरुणिमा, गीता काव्य, पथ के फूल, अदृश्य रंग, प्रभासि, तरणि, उदिता, केतुना, जीवन सार, बोधयन्ती, डॉ. विनोद कुमार शर्मा की चर्चित कवितायें, मन के मन्दिर से, वाजस्य, पुनीतन, सुम्नावरी, केशिना, ओजसा, नृमणा, मन की लहरें, उम्मीदों के पंख, प्रज्ञान की थाह, कठोपनिषद काव्य और मेध्या
प्रकाशित कृतियां हैं। काव्य त्रिवेणी, कलम के परिंदे, शब्दों से गुफ्तगू, नायाब मोती, एहसासों की गूंज, महकते अल्फाज, ख्यालों की रंगोली, शब्दों की जादूगरी, काव्यांजलि साझा काव्य संग्रह हैं। श्रीराव के 'विकास हेतु उपयोगी अनमोल वचन' के संयोजक हैं। श्री वि. प्र. सिंह द्वारा लिखित पुस्तक 'ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में चरखी दादरी' के सहयोग कर्ता हैं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंचों, टीवी चैनलों, समाचार पत्र और पत्रिकाओं में प्रस्तुति दे चुके हैं। डॉ विनोद शर्मा ने बताया कि उन्हें सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रेम विज का सानिध्य प्राप्त है। वे उनको साहित्यिक गुरु भी मानते हैं। वह आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहते हैं। लेखनी में चांसलर पद्मश्री हरमहेंद्र सिंह बेदी, डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी नई दिल्ली के प्रधान पद्मश्री पूनम सूरी, डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी नई दिल्ली के सचिव रविंद्र तलवाड़, संस्कृति बोध संघ के संस्थापक श्रीराव विजय प्रकाश सिंहजी, डॉ चंद्र त्रिखा, सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रेम विज, के के शारदा, डॉ. लालचंद गुप्त मंगल, प्रोफेसर बाबूराम, डॉ. इंद्रा रानी राव, ह्यूस्टन, लंदन से सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुरेश पुष्पाकर, इंडोनेशिया से आशीष शर्मा, अमेरिका से डॉ. सरिता मेहता, न्यूयॉर्क अमेरिका से सुषमा मल्होत्रा, जापान से सुदेश नूर, शिकागो अमेरिका से सुदर्शन गर्ग, संतोष गर्ग, विमला गुगलानी आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
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