खनन माफिया को संरक्षण देकर राजस्व को हजारों करोड़ का चूना लगा रही बीजेपी सरकार- हुड्डा
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 1 जुलाई । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि प्रदेश सरकार खुद अवैध खनन और माफिया को संरक्षण दे रही है। इसके उदाहरण छछरौली से लेकर पलवल तक देखने को मिल रहे हैं। छछरौली में पहले पुलिस द्वारा अवैध खनन से भरे गए एक डंपर को पकड़ा गया। उसे थाने लगाया गया। लेकिन थोड़ी देर बाद डंपर को कहीं ले जाकर खाली करवाया गया और वापस खाली डंपर को थाने में लाकर खड़ा कर दिया गया। स्पष्ट है कि अखबारों द्वारा छापा गया, यह अवैध खनन के विरुद्ध कार्रवाई ना करने और मिलीभगत का आंखों देखा उदाहरण है।
यमुना में अवैध खनन का सिलसिला यमुनानगर से लेकर पलवल तक एक ही जैसा नजर आता है। हर जगह खनन माफिया बेखौफ होकर अवैध खुदाई को अंजाम दे रहा है। यहां तक की पलवल में अवैध तौर पर रेत निकालने के लिए यमुना पर कई अस्थाई पुल तक बना दिए गए। जाहिर है कि इन अवैध पुलों के लिए ना किसी तरह की आधिकारिक और ना ही पर्यावरण संबंधी मंजूरी ली गई। आसपास के गांववालों ने स्थानीय विधायक से लेकर मंत्री तक, सभी के सामने शिकायत की। लेकिन खनन माफिया पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होती। क्योंकि खुद सरकार ऐसे लोगों को संरक्षण देने में लगी है।
हुड्डा ने कहा कि अवैध खनन से ना सिर्फ प्रदेश के राजस्व को हजारों करोड़ का चूना लग रहा है। बल्कि ये प्रदेश में बाढ़ का भी कारण बन रहा है। 2023 में आई बाढ़ की बड़ी वजह यही अवैध खनन था। क्योंकि खनन माफिया ने रेत निकाल-निकालकर नदी के बहाव की धारा को ही बदल डाला और जब नदी में पीछे से पानी आया तो वह रिहायशी इलाकों में घुस गया। उस समय कांग्रेस ने खनन से लेकर सरकार की लापरवाही तक तमाम मसलों पर सड़क से लेकर विधानसभा तक आवाज उठाई थी। मैंने खुद बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया था। उस समय सरकार ने भविष्य में बाढ़ रोकने के लिए कई कदम उठाने का आश्वासन दिया था। लेकिन इस तरह की कोई कार्यवाही सरकार द्वारा नहीं की गई।
प्रदेश में मानसून दस्तक दे चुका है। लेकिन अभी तक कई जगह नदियों के तटबंधों को मजबूत नहीं किया गया। मारकंडा से प्रभावित गांव में बाढ़ को रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। टांगरी नदी में भी खुदाई करवाकर किनारों पर दीवार बनाने का काम शुरू नहीं हुआ। कुरुक्षेत्र के हेमा माजरा में भी तटबंध का काम शुरू नहीं हो पाया। जबकि यह तमाम कार्य नहीं होने की वजह से ही 2023 में बाढ़ आई थी और सरकार के नाकारेपन की वजह से इस बार भी प्रदेश में बाढ़ का खतरा हो सकता है।
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