हरियाणा में लिंगानुपात बढ़कर हुआ 906: एसटीएफ की बैठक में एसीएस ने दिए सख्त निर्देश
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 1 जुलाई 2025:
हरियाणा में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत चल रहे सतत प्रयासों का असर दिखने लगा है। राज्य का लिंगानुपात अब बढ़कर 906 हो गया है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि (1 जनवरी से 30 जून) में 904 था। यह जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में आयोजित राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की साप्ताहिक बैठक में दी गई।
बैठक में अवैध गर्भपात और लिंग चयन की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने तथा जागरूकता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई।
जागरूकता अभियान से जागी चेतना
राज्यभर में सार्वजनिक पार्कों में जागरूकता रैलियां और मार्च आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें जिलों के वर्तमान लिंगानुपात दर्शाने वाले बैनर प्रमुखता से लगाए गए हैं। साथ ही, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सभी उपायुक्तों के सोशल मीडिया हैंडल्स पर अभियान चलाया जा रहा है, जिससे आमजन तक बेटियों के महत्व का संदेश प्रभावी ढंग से पहुंचे।
अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई तेज
बैठक में हिसार के एक अस्पताल का एमटीपी लाइसेंस रद्द किए जाने का उदाहरण देते हुए एसीएस ने सभी अधिकारियों को चेताया कि:
“अवैध गर्भपात में लिप्त पाए जाने पर संबंधित डॉक्टरों का लाइसेंस तत्काल रद्द किया जाए।”
उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) की कड़ी निगरानी और सीमा पार लिंग-चयनात्मक सेवाओं पर रोक के लिए दिल्ली, पंजाब और राजस्थान के साथ इंटर-डिस्ट्रिक्ट समन्वय बढ़ाने पर बल दिया।
अपंजीकृत बच्चों के लिए विशेष अभियान
श्री राजपाल ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से अपंजीकृत बच्चों की सूची तैयार करने, जन्म पंजीकरण शिविर लगाने और कमजोर वर्गों तक व्यापक जन-जागरूकता पहुंचाने के निर्देश भी दिए।
IVF व पीजीटी केंद्रों पर नजर
उन्होंने लिंग निर्धारण में लिप्त IVF और PGT केंद्रों पर निगरानी रखने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना पर तत्काल छापेमारी के निर्देश दिए। साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी कि:
“निगरानी में लापरवाही करने वाले SMO (वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी) पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें स्टेशन न छोड़ने की शर्त और ब्लैकलिस्टिंग भी शामिल है।”
“सहेली” प्रणाली में बदलाव
बैठक में बताया गया कि गर्भवती महिलाओं की देखभाल में मदद करने वाली सहेलियों को प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन गर्भपात में शामिल पाए जाने पर उन्हें दंडित किया जाएगा।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लों सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
यह पहल हरियाणा के सामाजिक ताने-बाने में सकारात्मक बदलाव की ओर संकेत करती है और आने वाले समय में बेटियों के लिए अधिक सुरक्षित और समान अवसरों वाला माहौल तैयार करने में सहायक होगी।
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