CHB में पदोन्नति प्रक्रिया पर उठे सवाल: अनियमितताओं और प्रभावशाली अधिकारी पर लगे गंभीर आरोप
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 9 जुलाई 2025 —चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड में पदोन्नति प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। बोर्ड में 10 जुलाई को होने जा रही डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी की बैठक से पहले ही सीई (चीफ इंजीनियर) और एसई (सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर) पदों की पदोन्नति को लेकर नियमों की अनदेखी और प्रभावशाली अधिकारियों के दबाव की चर्चा जोरों पर है।
सूत्रों के अनुसार, वर्तमान सीई इस माह सेवानिवृत्त हो रहे हैं और विभाग के सबसे वरिष्ठ एसई इस पद के लिए योग्य माने जा रहे हैं। एसई की पदोन्नति से दो सीटें खाली होंगी, जिसके लिए एक्सईएन (एक्जीक्यूटिव इंजीनियर) स्तर के अधिकारी प्रयासरत हैं।
इसी बीच एक अधिकारी का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है, जिन पर अपनी मजबूत रसूख और उच्च अधिकारियों से नज़दीकियों के बल पर पदोन्नति पाने का आरोप है। बताया जा रहा है कि वे पंचकूला सेक्टर 7 में सीएचबी एक वरिष्ठ अधिकारी के लिए आवास निर्माण करवा चुके हैं, जिससे उनके प्रभाव का अंदाजा लगाया जा रहा है।
उपरोक्त अधिकारी पूर्व में सीएचबी के नए भवन निर्माण परियोजना में एक्सईएन रह चुके हैं और उन पर कई गंभीर आरोप भी लगे हैं। आरोपों के अनुसार, उन्होंने भवन बन जाने के दो साल बाद तक डेविएशन की मंजूरी नहीं ली और ठेकेदार को भुगतान करते रहे। इसके अलावा, उन्होंने ठेकेदार को जरूरत से ज्यादा परफॉर्मेंस गारंटी राशि (जो करोड़ों रुपये में बताई जाती है) भी रिलीज कर दी, जो कि सीएचबी के समझौता नियमों और विजिलेंस विभाग के निर्देशों का खुला उल्लंघन था। खुद विजिलेंस और सीएचबी अधिकारियों ने लिखित में इन गड़बड़ियों को स्वीकार किया है।
इन विवादों के चलते नवंबर 2024 में भी उनका एसई पद के लिए नाम ठुकरा दिया गया था। हाल ही में उन्होंने यूटी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में डेपुटेशन के लिए भी प्रयास किया, लेकिन विजिलेंस क्लीयरेंस न होने के कारण उन्हें अनुमति नहीं दी गई। नियमों के अनुसार, जब तक किसी अधिकारी पर विजिलेंस जांच लंबित हो, तब तक वह किसी संवेदनशील पद पर नियुक्त नहीं हो सकता।
अब जबकि सीएचबी की सेक्टर 53 और 54 की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है, ऐसे में पदोन्नति पाने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी और संवेदनशीलता और भी बढ़ जाती है। ऐसे में यदि नियमों को ताक पर रखकर प्रभावशाली अधिकारियों को प्रमोट किया जाता है, तो यह न केवल विभाग की छवि को धूमिल करेगा, बल्कि पारदर्शिता और ईमानदारी की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करेगा।
बोर्ड और प्रशासक से मांग की जा रही है कि वे इस प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच कराएं और यह सुनिश्चित करें कि पदोन्नतियां योग्यता, नियमों और स्वच्छ छवि के आधार पर ही की जाएं।
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