खाद किल्लत पैदा करके कालाबाजारी को बढ़ावा दे रही है बीजेपी सरकार - दीपेन्द्र हुड्डा
· सरकार तुरंत डीएपी और यूरिया खाद की पर्याप्त व्यवस्था करे और कालाबाजारी करने वालों पर अंकुश लगाए – दीपेन्द्र हुड्डा
· जो पुलिस जनता की सुरक्षा, अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने में लगनी चाहिए वो खाद वितरण के काम में पहरा दे रही – दीपेन्द्र हुड्डा
· केंद्र और प्रदेश दोनों जगह बीजेपी सरकार के बावजूद हरियाणा के हिस्से की आधी खाद भी नहीं मिली– दीपेन्द्र हुड्डा
· खरीफ सीजन की रोपाई जोरों पर, बावजूद इसके किसान खाद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर – दीपेन्द्र हुड्डा
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 09 जुलाई। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने प्रदेश में डीएपी यूरिया खाद किल्लत और कालाबाजारी के लिए बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि 2014 के बाद से हर फ़सली सीजन में किसानों को खाद किल्लत और कालाबाजारी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार खाद की किल्लत पैदा करके काला बाजारी को बढ़ावा दे रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार तुरंत डीएपी और यूरिया खाद की पर्याप्त व्यवस्था करे और खाद की कालाबाजारी करने वालों पर अंकुश लगाए। उन्होंने कहा कि बीजेपी के शासनकाल में इस बात का भी रिकार्ड बना कि थानों से खाद बँटवानी पड़ रही है। जो पुलिस जनता की सुरक्षा, अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने में लगनी चाहिए वो खाद वितरण के काम के लिए पहरा दे रही है। हर सीज़न में किसानों, उनके परिवार की महिलाओं व बच्चों तक को रात-रात भर लंबी-लंबी कतारों में कई दिन का इंतजार करना पड़ता है, फिर भी जरूरत भर का डीएपी व यूरिया खाद नहीं मिलता। ब्लैक मार्केट में किसानों को महंगी कीमत पर डीएपी, यूरिया खाद खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र और प्रदेश दोनों जगह बीजेपी सरकार होने के बावजूद किसान खाद के लिए तरस रहे हैं। खरीफ फसल के लिए केंद्र से हरियाणा आधे से भी कम स्टॉक की खाद सप्लाई हुई है। लगभग 14 लाख मिट्रिक टन खाद मिलनी थी, लेकिन 6 लाख मिट्रिक टन से भी कम खाद दी गई है। इसमें से भी ज्यादातर खाद कालाबाजारी करने वाले प्राइवेट दुकानदारों के पास या अन्य प्रदेशों में चली जा रही है। खाद किल्लत के चलते खरीफ की बिजाई का संकट पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा कि किसान खरीफ की फसल बुआई करे या खाद केंद्रों पर कई-कई दिन लाइन में लगे। महिलाओं को चौका-चूल्हा छोड़कर तो बच्चों को अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर खाद के लिए लाइन लगानी पड़ रही है। अपनी फसल बचाने के लिए किसानों को डीएपी खाद 2000 रुपये और यूरिया खाद 400 रुपये की महंगी कीमत देकर खरीदना पड़ रहा है। खाद के लिए किसान परेशान हैं तो सरकार हमेशा की तरह हाथ पर हाथ धरे तमाशबीन बनी हुई है।
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