भारत बंद का समर्थन – श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा हेतु हमारी पूर्ण एकजुटता - चौधरी उदयभान
ट्रेड यूनियनों की मांगे बिल्कुल जायज,सरकार को तुरंत प्रभाव से उनकी मांगे माननी चाहिए - चौधरी उदयभान
मजदूर वर्ग देश की रीढ़ है उनकी अनदेखी सरकार को पड़ेगी भारी - चौधरी उदयभान
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ, 09 जुलाई। हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने देश की 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं उनके सहयोगी संगठनों द्वारा चार नए लेबर कोड के विरोध और अन्य श्रमिक हित से जुड़ी मांगों को लेकर भारत बंद का समर्थन करते हुए कहा श्रमिक वर्ग की आवाज़ को मजबूती से उठाए जाने के हम इस ऐतिहासिक कदम के साथ एकजुट हैं। सरकार द्वारा लागू किए जा रहे चार लेबर कोड वेज कोड,औद्योगिक संबंध संहिता,सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर करने वाले हैं। इन संहिताओं के लागू होने से न केवल मजदूर वर्ग की सुरक्षा और अधिकारों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, बल्कि ट्रेड यूनियन की स्वतंत्रता एवं सामूहिक सौदेबाजी की प्रक्रिया भी बाधित होगी। ट्रेड यूनियनों की प्रमुख मांगे जैसे –अनुचित लेबर कोड की वापसी, न्यूनतम वेतन की गारंटी, स्थायी रोज़गार सुनिश्चित करना, ठेका प्रथा पर नियंत्रण, सामाजिक सुरक्षा का विस्तार पूरी तरह से न्यायोचित और समयानुकूल हैं।
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन अहम मांगों पर केंद्र सरकार द्वारा कोई सार्थक संवाद नहीं किया गया है। इसके विपरीत, विरोध करने वालों पर दमनात्मक कार्यवाही, गिरफ्तारियाँ और प्रशासनिक दवाब देखा जा रहा है। लोकतंत्र में विरोध को दबाना नहीं, सुना और समझा जाना चाहिए। जब देश की रीढ़ माने जाने वाले श्रमिक अपने अधिकारों की मांग कर रहे हों, तो सरकार का यह कर्तव्य है कि वह संवेदनशीलता के साथ इन मांगों पर अमल करे। तमाम सामाजिक संगठनों, किसान संगठनों, बुद्धिजीवियों, छात्र संगठनों और आम जनता से आह्वान करते हैं कि वे भारत बंद और ट्रेड यूनियनों के आंदोलन का नैतिक समर्थन करें। यह केवल श्रमिकों की लड़ाई नहीं, बल्कि हर उस नागरिक की लड़ाई है जो समानता, सम्मान और न्याय में विश्वास रखता है। यदि श्रमिकों की आवाज़ को अनसुना किया गया, तो यह आंदोलन और व्यापक होगा।
चौधरी उदयभान ने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मजदूर वर्ग की अनदेखी करना सामाजिक और आर्थिक असमानता को बढ़ावा देगा। सरकार को चाहिए कि वह श्रमिक संगठनों के साथ तत्काल संवाद स्थापित कर उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करे और इन पर तुरंत प्रभाव से सकारात्मक कदम उठाए।
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →