ऑटो ड्राइवर बना ट्रैफिक हीरो: चंडीगढ़ के मनीमाजरा में खराब ट्रैफिक लाइट पर निभाई डेढ़ घंटे तक ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी
स्कूल बच्चों से लेकर एंबुलेंस तक को निकाला जाम से, लोगों ने किया सलाम
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 8 जुलाई 2025:
कहते हैं असली हीरो वही होता है जो मुश्किल वक्त में बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद के लिए आगे आए। कुछ ऐसा ही देखने को मिला चंडीगढ़ के मनीमाजरा में, जहां एक आम ऑटो चालक ने अपनी जिम्मेदारी से कहीं बढ़कर काम करते हुए ट्रैफिक व्यवस्था को संभाल लिया और लोगों की दुआएं बटोरी।
मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड चौक पर खराब हो गई ट्रैफिक लाइट
सोमवार दोपहर करीब 1 बजे, मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड से आगे हिमाचल और शिमला की तरफ जाने वाले मुख्य चौक (चौक नंबर 5) पर ट्रैफिक लाइट अचानक खराब हो गई। उस समय स्कूलों की छुट्टी का समय था, कई अभिभावक अपने बच्चों को लेने जा रहे थे और कार्यालयों में लंच ब्रेक का समय भी चल रहा था। इस दोहरी भीड़ के कारण चौराहे पर भारी जाम लग गया।
पुलिस नदारद, लोगों को आई परेशानी
स्थानीय लोगों के अनुसार, मौके पर कोई भी ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात नहीं था। उन्होंने बताया कि अकसर चौक पर तैनात ट्रैफिक कर्मी बाहरी राज्यों – विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल – की गाड़ियों को रोककर चालान काटने में ही व्यस्त रहते हैं। लेकिन जब सड़क पर जाम की स्थिति बनती है, तो कोई ध्यान नहीं देता।
अनिल कुमार ने थामा ट्रैफिक कंट्रोल का मोर्चा
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, एक ऑटो चालक अनिल कुमार ने अपना ऑटो एक किनारे लगाया और बिना किसी आदेश के ट्रैफिक नियंत्रण का जिम्मा खुद उठा लिया। वह चौक के बीचों-बीच खड़े हो गए और एक-एक करके सभी दिशाओं से आ रहे वाहनों को संयमित तरीके से निकालने लगे। उन्होंने न सिर्फ फंसे हुए स्कूली बच्चों और आम नागरिकों को निकाला, बल्कि जाम में फंसी तीन एंबुलेंस और एक वीआईपी काफिले को भी सुरक्षित रास्ता दिलवाया।
बच्चों ने कहा – “थैंक यू अंकल”, राहगीरों ने किया सैल्यूट
जैसे-जैसे लोग इस ट्रैफिक हीरो की मदद देखते गए, अनिल की सराहना हर तरफ से होने लगी। स्कूल से घर लौट रहे बच्चों ने कहा, “थैंक यू अंकल, अब हम ट्यूशन टाइम पर पहुंच जाएंगे।”
कई राहगीरों और वाहन चालकों ने उन्हें ट्रैफिक कंट्रोल करते देख सैल्यूट किया और कुछ ने मोबाइल से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर भी किया।
समाजसेवा में भी रहते हैं आगे
स्थानीय निवासियों ने बताया कि अनिल कुमार सिर्फ ऑटो चालक नहीं हैं, बल्कि वे अक्सर समाजसेवा के कामों में भी भाग लेते हैं। वे जरूरतमंदों की मदद करते हैं और सामाजिक गतिविधियों में रुचि रखते हैं। अनिल कुमार ऑटो संगठन के प्रधान भी बताए जाते हैं।
डेढ़ घंटे की ड्यूटी के बाद लौटे अपने काम पर
करीब डेढ़ घंटे तक अनिल कुमार ट्रैफिक कंट्रोल करते रहे। इस बीच कोई ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौके पर नहीं पहुंचा। जब तक चौक की ट्रैफिक लाइट तकनीकी टीम द्वारा ठीक नहीं की गई, तब तक अनिल ही वहां मौजूद रहे। लाइट ठीक होने के बाद, अनिल ने मुस्कुराते हुए वहां से विदा ली और अपनी रोज़मर्रा की सवारी लेने निकल गए।
प्रशासन के लिए बड़ा सवाल
इस घटना ने ट्रैफिक पुलिस व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या ऐसे व्यस्त और संवेदनशील चौकों पर ट्रैफिक पुलिस की नियमित निगरानी नहीं होनी चाहिए? क्या जनता को ट्रैफिक कंट्रोल जैसे कार्यों के लिए मजबूर होना चाहिए?
अनिल कुमार जैसे लोग समाज के असली हीरो हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद करते हैं। यदि हर नागरिक में ऐसी जिम्मेदारी की भावना हो, तो न केवल ट्रैफिक व्यवस्था सुधरेगी, बल्कि समाज में भरोसे और सहयोग की भावना भी मजबूत होगी।
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