केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संघों की देशव्यापी हड़ताल का राज्य में व्यापक असर रहा
बैंकों, एलआईसी, जीआईसी,पोस्टल, आयकर, दूरसंचार आदि विभागों में भी काम काज ठप्प रहा
आशा, आंगनवाड़ी,मिड डे मील,क्रेच वर्करों, ग्रामीण सफाई कर्मचारियों व ग्रामीण चौकीदार भी भारी संख्या में हुए हड़ताल में शामिल
गुरुग्राम , धारूहेड़ा, मानेसर,फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत आदि में प्राईवेट कारखानों में कार्यरत बड़ी संख्या में औद्योगिक मजदूर भी हड़ताल पर रहे
हड़ताली कर्मचारियों और मजदूरों ने हजारों की संख्या में जिला एवं खंड स्तर पर एकत्रित होकर किए विरोध प्रदर्शन और जुलूस निकाले गए
रमेश गोयत
चंडीगढ़,9 जुलाई। देस की दस केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों और केन्द्र एवं राज्य कर्मचारी संघों के आह्वान पर बुधवार को आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल का प्रदेश में व्यस्त असर रहा। राज्य में इस हड़ताल का आह्वान प्रमुख कर्मचारी संगठन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा और मजदूर संगठन सीटू, एटक, एचएमएस, एआईयूटीयूसी तथा इनसे संबंधित सैकड़ों कर्मचारी एवं मजदूर संगठनों ने संयुक्त रूप से किया था।
शहरी स्थानीय निकाय विभाग, बिजली, रेवेन्यू, पब्लिक हेल्थ, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी, (बी.एंड.आर), स्वास्थ्य ,टूरिज्म, परिवहन, एचएसवीपी,वन,बीज विकास निगम आदि विभागों के बड़ी संख्या में कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने के कारण काम काज बूरी तरह प्रभावित रहा। राज्य की लगभग सभी युनिवर्सिटी के नियमित और अनियमित कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे। शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत एवं विकास विभाग के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हुए। बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने के कारण सैकड़ों सब डिवीजन, डिवीजन, कंप्लेंट सेंटर सूनसान रहे और कंज्यूमर की बिजली खराबी व अन्य शिकायतों का निवारण नहीं हुआ। नगर निगमों, पालिकाओं व परिषदों के कर्मचारियों के हड़ताल में कूद जाने के कारण सफाई, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने, प्रोपर्टी आइडी बनाने आदि सभी कार्य ठप्प रहे। रोड़वेज के ज्यादातर कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण अधिकांश बसों का संचालन नहीं हुआ। अधिकांश ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था ठप्प रही। बैंकों, एलआईसी, जीआईसी, पोस्टल, आयकर व दूरसंचार आदि विभागों में कामकाज बूरी तरह प्रभावित रहा और कोई भी पब्लिक डिलिंग का काम नही हुआ। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशा वर्करों और मिनिष्ट्रीयल सहित अन्य स्टाफ के हड़ताल में शामिल होने के कारण कामकाज प्रभावित रहा। हड़ताल में आंगनवाड़ी मिड डे मील,क्रेच वर्कर भी बड़ी संख्या में हड़ताल पर रहे। श्रमिक संगठन सीटू,एटक, एचएमएस व एआईयूटीयूसी से जुड़े फरीदाबाद, गुरुग्राम, धारूहेड़ा, मानेसर,बावल ,सोनीपत, पानीपत,हिसार में प्राईवेट कारखानों में काम करने वाले बड़ी संख्या में औद्योगिक मजदूर भी हड़ताल पर रहे।
श्रमिक और कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने हड़ताल की सफलता का दावा किया है। उनका कहना है कि हड़ताल की ऐतिहासिक सफलता केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा लागू की जा रही मजदूर एवं कर्मचारी विरोधी नीतियों स्पष्ट जनादेश है। इसलिए सरकार को लेबर कोड्स रद्द करने की पहल करनी चाहिए और कर्मचारियों एवं मजदूरों की लंबित मांगों का समाधान करना होगा।
*हड़ताल की प्रमुख मांगे निम्न हैं:-*
पूंजीपतियों के हक में 29 श्रम कानूनों को खत्म कर बनाए गए मजदूर विरोधी 4 लेबर कोड्स को वापस लिया जाए।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
सभी प्रकार के आउटसोर्स ठेका कर्मियों और आंगनवाड़ी, आशा,मिड डे मील वर्करों को नियमित किया जाए और 26 हजार रुपए न्यूनतम वेतन किया जाए।
पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन लागू की जाए और 18 महीने के बकाया डीए डीआर को रिलीज किया जाए।
आठवें पे कमीशन का गठन किया जाए और राज्य कर्मियों के लिए अलग से वेतन आयोग गठित किया जाए।
आबादी और वर्क लोड के अनुसार नए पद सृर्जित किए जाए और सभी रिक्त पदों को स्थाई भर्ती से भर बेरोजगारों को रोजगार दिया जाए।
नेशनल एजुकेशन पालिसी को वापस लिया जाए।
संविधान के अनुच्छेद 311(2) ए,बी व सी और एस्मा जैसे काले कानूनों को खत्म किया जाए।
मनरेगा में 200 दिन काम ओर 800 रूपये मजदूरी तय की जाए।
सरकारी सहायता से कैशलैस मेडिकल सुविधा प्रदान की जाए और यह सुविधा ठेका कर्मियों व पेंशनर्स को भी प्रदान की जाए।
पेंशनर्स की 65, 70 व 75 साल की उम्र में बेसिक पेंशन में 5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की जाए और पेंशन कम्यूटेशन राशि को 15 की बजाय 10 साल 8 महीने में रिकवरी की जाए।
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