क्या ‘एक देश, एक चुनाव’ के पीछे छिपा है संविधान बदलने का गेम? पंजाब सरकार ने खोले बड़े राज!
महक अरोड़ा
14 जून 2025 : ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) के प्रस्ताव को लेकर पंजाब में सियासी हलचल तेज हो गई है। पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने शनिवार को केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह प्रस्ताव भारत के संविधान की बुनियादी संरचना और आत्मा पर हमला है, जिसे बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने रचा था। पंजाब भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे चीमा ने बताया कि उन्होंने और AAP के पंजाब अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने संसद की संयुक्त समिति (JPC) की बैठक में इस प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
"संघीय ढांचे को खत्म करने की साजिश है ये बिल" – हरपाल चीमा
चीमा ने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार की ये योजना भारत के संघीय ढांचे को खत्म करने का एक छुपा एजेंडा है।“यह ऐसा बिल है जिससे राज्यों की विधानसभा के कार्यकाल को केंद्र सरकार की मर्जी के अनुसार घटाया-बढ़ाया जा सकता है। यह संविधान में निहित संघीय प्रणाली के बिल्कुल खिलाफ है. उन्होंने यह भी चेताया कि इस बिल से अनुच्छेद 356 और 360 का दुरुपयोग बढ़ेगा, जिससे केंद्र सरकार को राज्यों में आसानी से राष्ट्रपति शासन लगाने का बहाना मिल जाएगा।
चुनाव आयोग को मिलेगा 'खास अधिकार', राष्ट्रपति बदल सकते हैं तारीखें
चीमा ने बताया कि बिल के भाग 2 के सेक्शन 5 में प्रावधान है कि अगर चुनाव आयोग को लगता है कि किसी राज्य में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराना संभव नहीं है, तो वह राष्ट्रपति को सलाह दे सकता है कि राज्य का चुनाव बाद में कराया जाए।
उन्होंने कहा कि यह प्रावधान One Nation One Election के असली मकसद के ही खिलाफ है — क्योंकि यह केंद्र सरकार को साल-दो साल बाद अपनी सुविधा से राज्य चुनाव कराने का रास्ता देता है।
"यह क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करने की चाल है"
चीमा ने कहा कि भाजपा की यह कोशिश देश की क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करने की दिशा में एक साजिश है। ये पार्टियां स्थानीय भाषाओं, संस्कृति और विविधता की आवाज़ हैं। अगर उन्हें कमजोर किया गया तो भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ ही टूट जाएगी।
पंजाब सरकार और AAP करेंगे लिखित विरोध
चीमा ने साफ कहा कि पंजाब सरकार और आम आदमी पार्टी इस प्रस्ताव का लिखित रूप में भी विरोध दर्ज कराएंगे। उन्होंने अन्य राज्यों से भी अपील की कि वे मिलकर इस प्रस्ताव के खिलाफ आवाज़ उठाएं, ताकि संविधान की मूल आत्मा और राज्यों की स्वायत्ता बचाई जा सके।
MA
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →