Vande Mataram पर आज Rajya Sabha में होगी चर्चा, Amit Shah करेंगे शुरुआत
Babushahi Bureau
नई दिल्ली, 9 दिसंबर, 2025 : संसद के शीतकालीन सत्र के 7वें दिन, मंगलवार यानि कि आज राज्यसभा (Rajya Sabha) में सियासी पारा चढ़ने के पूरे आसार हैं। राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' (Vande Mataram) के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आज उच्च सदन में एक विशेष चर्चा आयोजित की गई है। इस ऐतिहासिक बहस की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। सत्ता पक्ष की ओर से सदन के नेता और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा (JP Nadda) भी अपना पक्ष रखेंगे और इस गीत के ऐतिहासिक महत्व पर रोशनी डालेंगे।
कल लोकसभा में हुआ था आमना-सामना
इससे पहले सोमवार को लोकसभा (Lok Sabha) में इसी मुद्दे पर जोरदार बहस हुई थी। चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया था और कहा था कि मुस्लिम लीग के डर से कांग्रेस ने वंदे मातरम का अपमान किया और इसके टुकड़े किए। वहीं, विपक्ष की ओर से कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पलटवार करते हुए भाजपा पर राष्ट्रगीत को दिल से न अपनाने का आरोप लगाया था। आज राज्यसभा में भी इसी तर्ज पर तीखी नोकझोंक होने की उम्मीद है।
चर्चा के पीछे सरकार की 5 बड़ी वजहें
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार द्वारा संसद में इस चर्चा को कराने के पीछे पांच मुख्य रणनीतिक कारण हैं:
1. राष्ट्रीय एकता: सरकार इसके जरिए देश में राष्ट्रभावना और सांस्कृतिक गौरव को जगाना चाहती है।
2. बंगाल चुनाव: वंदे मातरम का गहरा नाता बंगाल से है। अगले साल वहां होने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार वहां एक भावनात्मक और राजनीतिक माहौल तैयार करना चाहती है।
3. 1937 का विवाद: सरकार 1937 में धार्मिक कारणों से गीत के दूसरे हिस्से को हटाने के फैसले पर बहस कराकर तुष्टिकरण की राजनीति को उजागर करना चाहती है।
4. इतिहास की याद: बंगाल विभाजन (1905) के दौरान यह गीत आंदोलनों का केंद्र था, जिसे याद दिलाकर देशभक्ति को मजबूत किया जा रहा है।
5. टकराव से ध्यान हटाना: एसआईआर मुद्दे पर चल रहे तनाव के बीच, यह चर्चा संसद के माहौल को थोड़ा सकारात्मक करने की कोशिश भी हो सकती है।
"गीत के विभाजन ने बोए थे देश के बंटवारे के बीज"
गौरतलब है कि 7 नवंबर को एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि 1937 में वंदे मातरम का एक हिस्सा हटा दिया गया था, यानी उसके टुकड़े कर दिए गए थे। उनका मानना है कि इस गीत के विभाजन ने ही आगे चलकर देश के विभाजन (Partition) के बीज बोए थे। आज अमित शाह अपने संबोधन में इसी ऐतिहासिक अन्याय और विभाजनकारी सोच को सदन के पटल पर रख सकते हैं।
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