'Nehru ने Vande Mataram के टुकड़े किए, Indira ने जेल भेजा...'; पढ़ें संसद में और क्या बोले Amit Shah?
Babushahi Bureau
नई दिल्ली, 9 दिसंबर, 2025 : संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' (Vande Mataram) की 150वीं वर्षगांठ पर चल रही बहस के दूसरे दिन सियासी पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। मंगलवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने चर्चा के दौरान मोर्चा संभाला और कांग्रेस के इतिहास पर तीखे सवाल उठाए।
शाह ने सीधे तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति के कारण ही इस पवित्र गीत के टुकड़े किए गए, जिसने अंततः देश के विभाजन की नींव रखी।
"नेहरू ने किए गीत के दो टुकड़े"
अमित शाह ने इतिहास के पन्नों को पलटते हुए कहा कि जब 'वंदे मातरम्' की स्वर्ण जयंती थी, तब जवाहरलाल नेहरू ने इसे सिर्फ दो अंतरों तक सीमित कर दिया था। शाह ने कहा, "वहीं से तुष्टीकरण की शुरुआत हुई। अगर उस समय वंदे मातरम् के दो टुकड़े करके तुष्टीकरण न किया गया होता, तो आज भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता।"
"इंदिरा के राज में गीत गाने वाले जेल गए"
नेहरू के बाद शाह ने इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के कार्यकाल पर भी हमला बोला। उन्होंने याद दिलाया कि जब इस गीत के 100 साल पूरे हुए, तब देश आपातकाल (Emergency) की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। उस वक्त 'वंदे मातरम्' का नारा लगाने वाले विपक्ष के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं (Social Activists) को जेल में डाल दिया गया था। अखबारों पर ताले जड़ दिए गए थे और पूरा देश एक तरह से बंदी बना लिया गया था।
"सदन में बंद करवा दिया गया था गायन"
गृह मंत्री ने कांग्रेस पर संसद के भीतर भी इस गीत का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में सदन के अंदर 'वंदे मातरम्' का गायन बंद करवा दिया गया था। यह परंपरा 1992 में तब बदली, जब भाजपा सांसद राम नाईक ने आवाज उठाई और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी (L.K. Advani) ने स्पीकर से इसे दोबारा शुरू करने की मांग की।
"2047 में भी रहेगी जरूरत"
अमित शाह ने गीत के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि बंकिम चंद्र चटर्जी (Bankim Chandra Chatterjee) ने इस गीत की रचना तब की थी, जब देश विदेशी संस्कृति के दबाव और आक्रमणों से जूझ रहा था। उन्होंने कहा, "वंदे मातरम् की जरूरत आजादी के आंदोलन में भी थी, आज भी है और 2047 में जब महान भारत बनेगा, तब भी रहेगी।" उन्होंने कहा कि मातृभूमि से बड़ा कुछ नहीं हो सकता और इसी भाव को बंकिम बाबू ने पुनर्जीवित किया था।
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