Himachal Pradesh : मुख्यमंत्री सुक्खू ने बादल फटने की बढ़ती घटनाओं का अध्ययन करने की आवश्यकता पर बल दिया
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 07 जुलाई, 2025 :
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि आपदाएं भविष्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटना मानवता के लिए गंभीर चिंता का विषय है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की 9वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य में बादल फटने की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह मामला केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष भी उठाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों मंडी जिला में 123 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई, जिससे जिला में अत्यधिक तबाही हुई। शिमला जिला में 105 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में 19 बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिनसे जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और राहत प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि अवैज्ञानिक तरीके से मलबा दबाए जाने से नुकसान हो रहा है तथा भविष्य में इस नुकसान को रोकने के लिए वैज्ञानिक प्रणाली अपनाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को लोगों को नियमित मौसम संबंधी अपडेट प्रदान करने तथा सोशल मीडिया में प्रसारित हो रही भ्रामक सूचनाओं का खंडन करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि अलर्ट जारी करने के लिए एसडीएमए एकमात्र प्राधिकरण है तथा लोगों से केवल आधिकारिक सूचना पर ही भरोसा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए तथा लोगों को नदियों और नालों से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर अपने घर बनाने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एसडीआरएफ को मजबूत कर रही है तथा कांगड़ा जिला के पालमपुर में एक नया परिसर स्थापित किया जा रहा है। डॉ. मनमोहन सिंह हिमाचल लोक प्रशासन संस्थान, शिमला में राज्य आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना की जाएगी, जबकि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला अनुसंधान और विकास कार्य करेगा। उन्होंने उच्च जोखिम वाली ग्लेशियर झीलों पर अध्ययन करने तथा स्थानीय समुदाय को जागरूकता अभियान में शामिल करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि आपदाएं अब लगातार होने वाली घटनाएं बन गई हैं तथा 2023 में हिमाचल प्रदेश को मानसून मौसम में भारी नुकसान हुआ, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए।
उन्होंने कहा कि राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए जिला प्रशासन तथा विभिन्न विभागों को 1260 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं, जबकि 138 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि न्यूनीकरण कोष (मिटिगेशन फंड) के तहत प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने सरकारी विभागों को निर्देश दिए कि वे अपनी परियोजनाओं को जलधाराओं से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर स्थापित करें, ताकि नुकसान के जोखिम को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि 891 करोड़ रुपये की आपदा जोखिम न्यूनीकरण परियोजना कार्यान्वित की जा रही है, जिसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सुदृढ़ किया जाएगा। साथ ही प्रभावी पूर्व चेतावनी प्रणाली तथा सहायक शमन उपायों के माध्यम से आपदा तैयारियों को सुदृढ़ किया जाएगा, जिसे मार्च, 2030 तक पूरा कर लिया जाएगा।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, सचिव एम. सुधा देवी तथा डॉ. अभिषेक जैन, एडीजीपी सतवंत अटवाल तथा अभिषेक त्रिवेदी, विशेष सचिव डी.सी. राणा तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। (SBP)
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