हरियाणा में आज तीन लाख कर्मचारी हड़ताल पर, रोडवेज बसें ठप, सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा
बाबूशाही ब्यूरो
हिसार, 9 जुलाई 2025:
हरियाणा में आज केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के देशव्यापी आह्वान पर करीब तीन लाख कर्मचारियों ने हड़ताल की, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। प्रदेश की रोडवेज बसों का संचालन पूरी तरह से ठप रहा, वहीं नगर निगम, तहसील, स्वास्थ्य, शिक्षा सहित 40 से अधिक विभागों और 55 बोर्डों एवं निगमों के कामकाज पर भी असर पड़ा।
मजदूर विरोधी श्रम कानूनों का विरोध
हड़ताल का मुख्य कारण सरकार द्वारा लाए गए चार नए श्रम कोड हैं, जिन्हें कर्मचारी मजदूर विरोधी और पूंजीपतियों के हित में बता रहे हैं। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि इन कानूनों से श्रमिकों के अधिकार खतरे में हैं। उन्होंने पुरानी पेंशन योजना की बहाली, 18 महीने का बकाया डीए/डीआर जारी करने, और कार्य समय कम करने की मांग दोहराई।
नगर निगमों और तहसीलों में कामकाज ठप
हरियाणा नगर पालिका कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान नरेश शास्त्री ने बताया कि लगभग 50 हजार कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए, जिससे सफाई व्यवस्था, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, भवन परमिट जैसे सभी कार्य प्रभावित रहे।
वहीं रेवेन्यू पटवारी एवं कानूनगो एसोसिएशन के राज्य प्रधान जयबीर चहल ने कहा कि प्रदेश के 1500 पटवारी और 256 कानूनगो भी हड़ताल में शामिल हुए, जिससे तहसीलों में राजस्व से संबंधित सभी काम ठप हो गए।
रोडवेज चक्का जाम, यात्री बेहाल
हरियाणा रोडवेज वर्कर यूनियन के राज्य महासचिव सुमेर सिवाच ने बताया कि प्रदेश के सभी 24 डिपो से कोई बस नहीं चली। यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने भी हड़ताल को समर्थन दिया है, जिससे कई स्थानों पर चक्का जाम की स्थिति बनी रही।
आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों की भी आवाज
हड़ताल में आंगनबाड़ी, आशा वर्कर, मिड-डे मील कर्मचारी, ठेका और आउटसोर्स कर्मी भी शामिल रहे। इनकी प्रमुख मांगें 26 हजार रुपये न्यूनतम वेतन, नियमितीकरण, और भविष्य की सामाजिक सुरक्षा हैं।
राष्ट्रीय वीर किसान मजदूर दल के अध्यक्ष राकेश दलाल ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि "सरकार महंगाई बढ़ा रही है, लेकिन कर्मचारियों और युवाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही।"
सरकारी उदासीनता के विरोध में बुलाई गई यह हड़ताल आने वाले समय में और उग्र रूप ले सकती है, यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
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