SYL विवाद फिर गर्माया: आज बुधवार को दिल्ली में अहम बैठक, हरियाणा करेगा निर्माण की पुरजोर मांग
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़/दिल्ली, 9 जुलाई 2025
हरियाणा और पंजाब के बीच पिछले चार दशक से चले आ रहे सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद को लेकर एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के हरियाणा के पक्ष में फैसले के बावजूद यह विवाद अब तक सुलझ नहीं पाया है। अब 9 जुलाई (बुधवार) को इस मुद्दे पर दिल्ली के श्रम शक्ति भवन में शाम 4 बजे एक अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल होंगे।
केंद्र सरकार की चौथी पहल
इससे पहले केंद्र सरकार की पहल पर 2020, 2022 और 2023 में तीन बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया। यह चौथी बैठक है, जिस पर नज़रें टिकी हैं क्योंकि 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर फिर से सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार विवाद का हल बातचीत से निकालना चाहती है, जबकि पंजाब का रुख अब भी सख्त है। मुख्यमंत्री भगवंत मान कह चुके हैं कि पंजाब के पास अतिरिक्त पानी नहीं है और उन्होंने यमुना जल पर भी दावा जताया है।
हरियाणा की रणनीति तैयार
बैठक से पहले हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने सोमवार को अधिकारियों के साथ मंथन कर राज्य की रणनीति तैयार की। सैनी बुधवार दोपहर 2 बजे दिल्ली रवाना होंगे और बैठक में SYL नहर निर्माण की मांग को फिर से प्रमुखता से उठाएंगे। हरियाणा सरकार बैठक में जोर देगी कि पंजाब को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार सहयोग करना चाहिए। यदि समाधान नहीं निकलता, तो हरियाणा सरकार हिमाचल से सतलुज या गंगा जल लाने जैसे वैकल्पिक उपायों पर भी विचार कर रही है।
एसवाईएल विवाद का इतिहास
SYL नहर का निर्माण 1982 में शुरू हुआ था, लेकिन 1990 में राजनीतिक व सामाजिक तनाव के चलते काम रुक गया। हरियाणा ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने 2002 में नहर निर्माण का आदेश दिया और 2004 में केंद्र को निर्माण कराने को कहा। इसी वर्ष पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जल समझौतों को रद्द कर दिया। बाद में 2016 में अकाली दल सरकार ने नहर के लिए अधिग्रहीत भूमि को डि-नोटिफाई कर दिया।
हुड्डा का बयान – अब कोर्ट में अवमानना की जाए
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस बैठक पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब बैठकें करने का कोई औचित्य नहीं रह गया। सुप्रीम कोर्ट पहले ही हरियाणा के पक्ष में फैसला दे चुका है और बीजेपी की सरकार होने के बावजूद केंद्र ने हरियाणा को उसका हक नहीं दिलाया। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि सरकार कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट (अवमानना) का मुकदमा दायर करे और बार-बार की बैठकों का दौर खत्म हो।”
नजरें अब इस बात पर हैं कि क्या बुधवार की बैठक कोई ठोस नतीजा दे पाएगी, या फिर SYL विवाद की फाइल एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर दस्तक देगी।
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