कांग्रेस के दोहरे मापदंड और स्वार्थी नीतियों ने पंजाब को भारी नुकसान पहुँचाया, जिसका खामियाजा आज भी पंजाब भुगत रहा है: सौंद*
- पानी के रक्षक कहलवाने वालों ने कभी भी पंजाब के हक़ों की रक्षा नहीं की
- रिपेरियन कानून के मुताबिक पानियों पर पंजाब का हक़
- ऐतिहासिक हवालों और तथ्यों के साथ पंजाब के पानी की हुई लूट के बारे में विस्तार से बताया
चंडीगढ़, 5 मई
पंजाब विधान सभा में आज पंजाब के पानी संबंधित प्रादेशिक अधिकारों की रक्षा के लिए सरकारी प्रस्ताव पर बोलते हुए कैबिनेट मंत्री तरुनप्रीत सिंह सौंद ने स्पष्ट कहा कि किसी को देने के लिए पंजाब के पास पानी की एक बूंद भी अतिरिक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों की गलत नीतियों के कारण पंजाब को आज यह दिन देखना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पंजाब पहले ही पानी की कमी से जूझ रहा है और राज्य के कई ब्लॉक डार्क ज़ोन में आ गए हैं। उन्होंने ऐतिहासिक हवाले और तथ्यों के साथ पंजाब के पानी की हुई लूट के बारे में विस्तार से बताया। सौंद ने कहा कि 80 के दशक में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में जब कांग्रेस की सरकारें थीं और केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार थी, तब पंजाब की कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार के समक्ष पानी के हक़ों के लिए खड़े होने के बजाय घुटने टेक दिए थे। उन्होंने साफ शब्दों में पानी की लूट के लिए अतीत में कांग्रेस की नीतियों को दोषी करार दिया।
उन्होंने कहा कि पंजाब प्रांत बनाने के समय भी केंद्र की सरकारें, खासतौर पर कांग्रेस की सरकार ने धोखा किया और पंजाब को अपनी राजधानी तक नहीं दी। उन्होंने कहा कि जस्टिस आर एस नरूला ने भी कहा था कि चंडीगढ़ की मांग समेत पंजाबियों की सभी मांगें जायज़ हैं। उन्होंने कहा कि कई बार कांग्रेस का दोहरा चेहरा बेनकाब हुआ है और कांग्रेसी नेताओं की कहनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है। सौंद ने कहा कि पानी के रक्षक कहलवाने वाले लोगों ने कभी भी पंजाब के हक़ों की रक्षा नहीं की।
तथ्यों के साथ जानकारी देते हुए सौंद ने कहा कि 100 फीसदी पानी में से पंजाब सिर्फ 24.58 फीसदी पानी का उपयोग कर रहा है, जबकि राजस्थान 50.09 फीसदी, हरियाणा 20.38 फीसदी, जम्मू-कश्मीर 3.80 फीसदी और दिल्ली 1.15 फीसदी पानी का उपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि पूरा पानी भी पंजाब इस्तेमाल करे, तो भी राज्य के पास पानी की कमी है। उन्होंने कहा कि रीपेरियन कानून के मुताबिक पानी पर पंजाब का हक बनता है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि 1 क्यूसिक पानी का मूल्य 1.25 करोड़ रुपये बनता है। इस हिसाब से यदि पानी का मूल्य मिल जाए, तो पंजाब दुनिया का सबसे अमीर राज्य होगा। उन्होंने सवाल किया कि जब सोना, कोयला और तेल सहित बाकी ज़मीनी खनिज मुफ्त में नहीं मिलते, तो पानी क्यों मुफ्त दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जब हरियाणा को अलग राज्य बनाया गया, तो साज़िश के तहत पानी की बांट के बारे में पंजाब के साथ धोखा किया गया। 75 साल बाकी पार्टियों ने पंजाब पर शासन तो किया, लेकिन पानी की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि शाह कमीशन की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि भाखड़ा डेम, नंगल डेम, डेमों के पावर हाउस और नहरों पर पंजाब का हक बनता है।
उन्होंने कहा कि देश का पेट भरने के लिए पंजाब ने ज़मीनी पानी भी गहरे कर लिए, लेकिन जिस तरह आज पंजाब का पानी लूटा जा रहा है, उस हिसाब से राज्य के हालत और चिंताजनक होने में देर नहीं लगेगी। उन्होंने कहा कि पंजाब के हक़ों की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई वाली सरकार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी।
kk
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