गोधरा कांड: सुप्रीम कोर्ट आज करेगा अहम सुनवाई, फांसी या उम्रकैद पर टिकी निगाहें
महक अरोड़ा
सुप्रीम कोर्ट आज 2002 के बहुचर्चित गोधरा कांड मामले की सुनवाई करेगा। यह वही मामला है जिसमें साबरमती एक्सप्रेस के S-6 कोच में आगजनी के चलते 59 तीर्थयात्रियों की मौत हुई थी। यह घटना 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर हुई थी, जब ट्रेन अयोध्या से लौट रही थी।
इससे पहले 24 अप्रैल को सुनवाई टल गई थी, क्योंकि जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच दोपहर 1 बजे तक ही बैठ पाई थी। तब बेंच ने स्पष्ट किया था कि मामले की सुनवाई के लिए कम से कम दो हफ्ते का समय चाहिए।
6 और 7 मई को होगी लगातार सुनवाई
बेंच ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि 6 और 7 मई को इस मामले के अलावा कोई अन्य केस सूचीबद्ध न किया जाए। यदि आवश्यक हो, तो अन्य मामलों को दूसरी बेंचों को ट्रांसफर किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार, मृत्युदंड से जुड़े मामलों की सुनवाई तीन जजों की बेंच द्वारा की जानी चाहिए, इसलिए 6 मई को तीन जजों की बेंच बैठेगी।
क्या है मामला
गोधरा कांड के बाद मामले की जांच और ट्रायल करीब 9 साल तक चला, जिसके बाद 2011 में SIT कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया। इसमें 11 दोषियों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
हालांकि, अक्टूबर 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी को उम्रकैद में बदल दिया। इस फैसले के खिलाफ गुजरात सरकार ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सरकार का कहना है कि वह उन दोषियों के लिए फिर से मृत्युदंड की मांग करेगी। दूसरी ओर, कुछ दोषियों ने खुद को निर्दोष बताते हुए हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।
गोधरा कांड के बाद भड़के दंगे, हजारों की जान गई
गोधरा की घटना के बाद गुजरात में भीषण सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें 1000 से अधिक लोगों की मौत हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मृतकों में 790 मुसलमान और 254 हिंदू शामिल थे।
दंगों की सबसे भयावह घटना 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी में हुई, जहां बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। इसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी मारे गए थे। स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि तीसरे दिन सेना को तैनात करना पड़ा।
MA
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